शनिवार, 19 जून 2021

अनुभूतियाँ: क़िस्त 08

अनुभूतियाँ : क़िस्त 08

 

1
दोनों के जब दर्द एक हैं,
फिर क्यों दिल से दिल की दूरी
एक साथ चलने में क्या है ,
मिलने में हैं क्या मजबूरी ?

 
2
रात रात भर तारे किस की ,
देखा करते  राह निरन्तर  ?
और जलाते रहते ख़ुद को
आग बची जो दिल के अन्दर ।

 
3
कितनी बार हुई नम आँखें,
लेकिन बहने दिया न मैने।
शब्द अधर पर जब तब उभरे
कुछ भी कहने दिया न मैने ।

 
4
छोड़ गई तुम, अरसा बीता,
फिर न बहार आई उपवन में ।
लेकिन ख़ुशबू आज तलक है,
दिल के इस सूने आँगन  में ।
 

 

-आनन्द.पाठक-

 


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