शनिवार, 25 सितंबर 2021

चन्द माहिए

 

चन्द माहिए

 

 :1:

खुद तूने बनाया है.

माया का पिंजरा,

ख़ुद क़ैद में आया है।

 

:2:

किस बात का है रोना?

छोड़ ही जाना है

फिर क्या पाना, खोना ?

 

 :3:

जब चाँद नहीं उतरा,

खिड़की मे, तो फिर

किसका चेहरा उभरा ?

 

 :4:

जब तुमने पुकारा है

कौन यहाँ ठहरा ?

लौटा न दुबारा है।

 

5

वो प्यार भरी बातें,

अच्छी लगती थीं,

छुप छुप के मुलाकातें।

 

-आनन्द.पाठक-

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