गुरुवार, 24 फ़रवरी 2022

चन्द माहिए

 

चन्द माहिए-

1

हर पल जो गुज़र जाता,

छोड़ के कुछ यादें

फिर लौट के कब आता ?

 

 2

होती भी अयाँ कैसे?

दिल तो ज़ख़्मी है,

कहती भी ज़ुबाँ कैसे?

 

 3

तुम ने मुँह फेरा है,

टूट गए सपने,

दिन में ही अँधेरा है।

 

 4

शोलों को भड़काना,

ये भी सज़ा कैसी

भड़का के चले जाना?

 

5

कितने बदलाव जिए,

सोच रहा हूँ मैं,

कागज की नाव लिए।

 

-आनन्द पाठक-

 

 

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