गुरुवार, 28 अप्रैल 2022

आवाज़ को बना दो बदन का लिबास

 सुनो,

अपनी आवाज़ से कहो

 कुछ मुलायम भी रहे...

कि 

छिल जाता है 

तेरी आवाज़ से 

मेरे बदन का लिबास



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