रविवार, 8 मई 2022

इक चांद उकेरा है मैंने

 अपनी  हथेली पर देखो

इक चांद उकेरा है मैने

कुछ तारें सजाए  है मैने

कुछ ख़्वाब उगाए है मैंने


ये चांद सुबह तक सूखेगा

फिर पतझड़ सा

झड़ जाएगा

टूट गिरेंगे तारें भी

बस ज़ख्म कोई रह जायेगा

सूखेगा माना घाव सही

पर दाग़ कोई रह जायेगा

किस्सा ये अधूरा अपना फिर

दुनिया को सुनाया जाएगा


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