शनिवार, 2 जुलाई 2022

चन्द माहिए

 चन्द माहिए 


:1:

ये कैसी माया है !

तन तो है अपना,

मन तुझ में समाया है।


 :2:

इस फ़ानी हस्ती पर

दाँव लगाए ज्यों

कागज़ की कश्ती पर


 :3:

ये कैसा रिश्ता है !

ओझल है फिर भी,

दिल रमता रहता है।


:4:

बेचैन बहुत है दिल,

कब तक मैं तड़पूं?

अब तो बस आकर मिल।


:5:

अन्दर की सब बातें 

लाख छुपाओ तुम

कह देती हैं आँखें


-आनन्द.पाठक-


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