शुक्रवार, 25 नवंबर 2022

चन्द माहिए

 


चन्द माहिए


1

दिन भर का थका होगा,

कुछ न हुआ हासिल

दुनिया से ख़फ़ा  होगा।


2

अब लौट के है जाना,

एक भरम था जग,

उसको ही सच माना।


3

जब जाना है, बन्दे!

अब तो काट ज़रा,

माया के सब फन्दे।


तुम को न भरोसा है,

कोई है दिल में,

मिलने को रोता है।


5

इक मेरी मायूसी,

उस पर दुनिया की,

दिन भर कानाफ़ूसी।


-आनन्द.पाठक-


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