बुधवार, 30 नवंबर 2022

 कितनी बार कहा है तुमसे

यूँ न ताका करो छुप छुप कर

मैं पकड़ ही लेती हूँ ये चोरी  तुम्हारी

दूसरे भी समझ जाते हैं और 

मैं हो जाती हूँ अप्रस्तुत।

ठीक है कि एक चाहत सी है

हमारे बीच,  किंतु क्या इसे

इस तरह  प्रकाशित करना चाहिये

अरे प्रेम तो छुपाने की ही चीज़ है

है ना ?



.।

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