बुधवार, 31 जुलाई 2013

दो अगीत .... डा श्याम गुप्ता

                                          {  अगीत-- अतुकांत कविता की एक विधा है  जो ५ से १० पंक्तियों के अन्दर कही गयी लय व गति, यति से युक्त  कविता है --- अगीत विधा की अधिक जानकारी हेतु  मेरे ब्लॉग   'अगीतायन'  ( http://ageetayan.blogspot.com)  पर देखें...}




चोर व सज़ा....

पकडे जाने पर चोर ने कहा-
व्यवस्था व समाज ने  मुझे चोर बनाया है...
दरोगा जी पहुंचे हुए थे,
घाट घाट का पानी पीकर घुटे हुए थे, बोले-
अबे हमें फिलासफी पढाता है,
तेरा भी समाज से कुछ नाता है ,
चलअन्दर-
जो पकड़ा जाता है,
वही तो सजा भुगत पाता है |


स्थितप्रज्ञ 

चौदह घंटे लेट
गाडी के इंतज़ार में
धैर्य व संतोष की  मूर्ति -यात्री
थककर चूर,
प्लेटफार्म पर बैठे मज़बूर,
जैसे हों ,
स्थितप्रज्ञ, वीतरागी,
सद -नासद से दूर |


5 टिप्‍पणियां:

  1. धन्यवाद ब्रिजेश जी एवं रश्मि जी...

    अगीत विधा की अधिक जानकारी हेतु मेरे ब्लॉग 'अगीतायन' ( http://ageetayan.blogspot.com) पर देखें...

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  2. आदरणीय आपकी यह प्रस्तुति 'निर्झर टाइम्स' पर 'रचनाशीलता की पहुंच कहाँ तक?' में लिंक किया गया है।
    आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया http:/nirjar-times.blogspot.com पर सादर आमंत्रित है।
    सादर

    जवाब देंहटाएं