बुधवार, 31 जुलाई 2013

शर्ते प्रिया की



मैं कश्ती तू पतवार प्रिये |


तू मांझी  मैं मंझधार प्रिये |

तुम वित्तमंत्री बन जाना |


मैं गृहमंत्री बन जाऊँगी |

तुम मेरे स्वप्न सजा देना |

मैं तेरा घर महका दूंगी |

पूरा होगा परिवार प्रिय | 

तू मांझी मैं मंझधार प्रिय 


तुम खूब कमा कर घर आना |

मैं शोपिंग लिस्ट थमा दूंगी |


भूले से भी जो मना किया |

मायके वाले बुलवा लूंगी |

ये धमकी नहीं मनुहार प्रिय |

तू मांझी मैं मंझधार प्रिय 



जो कभी रूठ तुमसे जाऊं |

दे साडी मुझे मना लेना |

जो थक जाऊं मैं कभी |

तो खाना बाहर से मंगवा लेना |

ये कर लो तुम स्वीकार प्रिय |

तू मांझी मैं मंझधार प्रिय 

तुम बैठो मेरे पास प्रिय|

 बस मेरी तारीफे करना |

न इधर उधर तुम देख कभी |

ठंडी ठंडी आहें भरना |

वर्ना ...........


तू मांझी मैं मंझधार प्रिये। 

जीना होगा दुश्वार प्रिये |

तू मांझी मैं मंझधार प्रिये।। 
इस खट्टी मीठी नोक झोक |

में प्यार सदा बढता जाए |

तुझ पर मेरा मुझ पर तेरा |

यूँ रंग सदा चदता  जाए |

तुम हो मेरा संसार प्रिये |

तू मांझी मैं मंझधार प्रिये।। 


6 टिप्‍पणियां:

  1. क्या खूब ...सुन्दर मनुहार है श्यामा जी....

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि का लिंक आज बृहस्पतिवार (01-08-2013) को २९ वां राज्य ( चर्चा -1324 ) में "मयंक का कोना" पर भी है!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. बहुत सुन्दर है गीत -

    तू रिमोट मैं तेरा मोहन प्रिय

    तू वोट मैं तेरा टर्नकोट

    मैं करती हूँ मनुहार प्रिय

    तू तंत्रप्रजा मैं वोट प्रिय

    तू मेरा सेकुलर राग प्रिय।

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