मंगलवार, 24 सितंबर 2013

ग़ज़ल ( सेक्युलर कम्युनल )



जब से बेटे जबान हो गए 
मुश्किल में क्यों प्राण हो गए 

किस्से सुन सुन के संतों के 
भगवन भी हैरान हो गए 

आ धमके कुछ ख़ास बिदेशी 
घर बाले मेहमान हो गए 

सेक्युलर कम्युनल के चक्कर में 
गाँव गली शमसान हो गए 

कैसा दौर चला है अब ये 
सदन कुश्ती के मैदान हो गए 

बिन माँगें सब राय  दे दिए 
कितनों के अहसान हो गए





ग़ज़ल  प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना

2 टिप्‍पणियां:

  1. सेक्युलर कम्युनल के चक्कर में
    गाँव गली शमसान हो गए

    कैसा दौर चला है अब ये
    सदन कुश्ती के मैदान हो गए

    सेक्युलर कम्युनल के चक्कर में
    गाँव गली शमसान हो गए

    कैसा दौर चला है अब ये
    सदन कुश्ती के मैदान हो गए

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