मंगलवार, 10 सितंबर 2013

श्याम स्मृति ----न कहना---डा श्याम गुप्त .......



                                                    श्याम स्मृति ----न कहना

        '' कहना भी एक कला है एवं जीवन व्यवहार में अत्यावश्यक । यदि हम यह जानलें कि हमें  कब कहाँ रुकना है  तो व्यवहार व मर्यादा की प्रत्येक सीमा स्वयं तय हो जाती है एवं व्यक्ति अनिर्वन्धित-बंधित हो जाता है, सीमाहीन -सीमित होजाता है।
 
     ' विश्व मैं वह कौन सीमाहीन है ,
      हो जिसका छोर सीमा मैं बंधा। '


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