रविवार, 20 अक्टूबर 2013

यह कैसी है बिडम्बना
महलों में रहने वाले गढ रहे गरीबी की परिभाषा।
जिसने कभी न तंगहाली देख वह दे रहे दिलाशा।।
यह कैसी....
राहुल भैया बोल रहे हैं निर्धन गरीब की बानी।
नहीं जानते वह कैसे मिलता है बस्ती में पानी।।
सूखे विदर्भ में कैसे पलता बचपन उन्हें यह पता नहीं।
बुंदेलखंड में कैसे उठती बेटी की डोली कुछ पता नहीं।।
यह कैसी....
पूर्वांचल में दिमागी बुखार से हर रोज टूट रही बच्चों की सांस।
नहीं फिकर किसी को इनकी राहुल, मोदी हो या मुलायम बास।।
बेरोजगारी के दौर में युवाशक्ति हो रही नशे का अनवरत शिकार।
नहीं किसी के पास है इस समस्या का समाधान करने का विचार।।
यह कैसी...

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