गुरुवार, 17 अक्टूबर 2013

एक दिन

अपनी दुनिया में से निकाल कर
एक दिन ऐसा दे दे मुझे...

जिसमें उगता सूरज,
चलता सूरज
और ढलता सूरज
साथ—साथ देखें..

उस रंगीन दिन में
ब्लैक एंड व्हाइट दौर के
गानों की मिठास घुली हो
उस दिन की शुरूआत
सर्दी की सर्द हवाओं सी हो
जिसमें खुशी कोहरा समाया हो

दोपहर पीपल की
छांव में सिमटी हो और
शाम में शहरी गुलाबी रंग
की मिलावट हो
शाम वो कुछ ऐसी हो
जो सिर्फ तेरी और मेरी हो

बस वो एक खास दिन
अपनी ज़िंदगी ​का दे दे मुझे...

10 टिप्‍पणियां:

  1. वो सुबह भी आएगी कभी न कभी ,आस पर ही जीवन टिका है। आशा से भरपूर रचना।

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