सोमवार, 11 नवंबर 2013

आस्था (कुण्डलिया)

आस्था से है सरोबर, अपना भारत देश ।
कण कण ईष्वर पूजते, पूजते साधु वेष ।।
पूजते साधु वेष, चाहे वह छला जावे ।
कोठी साधु कुटिया, भगत को भरमावे ।।
स्वयं माया लिप्त, सुनावे माया गाथा ।
सहे वार पर वार, कैसे बचे अब आस्था ।।

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