शुक्रवार, 17 जनवरी 2014

संजीवनी भूले --पथिक अनजाना –४५६ वीं पोस्ट




        संजीवनी भूले    --पथिक अनजाना –४५६ वीं पोस्ट 

 जब जब अवतारों ने मानवता को जीवित रखने की खातिर
अनथक परिश्रम से संजीवनी शक्ति फैलाने का श्रम किया
जब जब भागीरथी ने मानवता के शुद्धिकरण की खातिर
गंगा को धरा पर अवतरित करने हेतू अपना जीवन दिया
लगा मूल्य इंसा ने संजीवनी भूल देवों की मूर्तियाँ बना दी
विवश देवगण क्या करे जब बुद्धिमान ही बुद्धिहीन हो जावे
चेतावनियाँ बन गई इंसानी कहानियाँ खुदा खोगया कहलावे
पथिक अनजाना

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