शुक्रवार, 4 अप्रैल 2014

पथप्रदर्शक बदलते रूप हैं—पथिकअनजाना—572 वीं पोस्ट




PathicAanjana-goggleplus (चर्चा का चुगौना )

Post.no.572
पथप्रदर्शक बदलते रूप हैं—पथिकअनजाना—572 वीं पोस्ट
ताजमहल बदल रहा स्वरूप हैं पथप्रदर्शक  बदलते  रूप हैं
इस काल में बना ईश्वर के ताजमहल इंसा इंसा को लूटते हैं
इसी काल में ध्यान ज्ञान  साधना लूट का बनानया विधान हैं
ताजमहल के पथप्रदर्शकों ने  भी नया व्यापार स्वीकार किया
ध्यान ज्ञान साधना के व्यापारियों ने बना बिसरी कहानीसुनाई
दोहन करना जनसाधारण का जो रीति आदिकाल से चली आई
गवाह ताज दीवारें जमाने देखे मौजूदा हाल समझ न पाई
प्यार पनपते देखे अब दुनिया में पाखण्ड की खिली धूप हैं
ताजमहल बदल रहा---

पथिक अनजाना

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