गुरुवार, 10 अप्रैल 2014

बाइज्जत स्थान पाती—पथिकअनजाना-578वी.पोस्ट



करीब ले आती हैं दिल से मांगी गई माफियाँ
कबूल दुनिया में क्या महफिलैं सुकर्मों में भी
बाइज्जत स्थान पाती यह बांटी गई माफियाँ
न यह सोचना तुम्हें नही मिली कभी माफियाँ
गर जुबां पर हो हर पल मस्त करें यह टाफियाँ
शायद ताउम्र मान न पा सको पर यकीं पावोगे
वक्त कभी आवेगा जब  पूज्यनीय कहलावोगे
याद मुझे भी करोगे गर बात सिरमाथे लगावोगे
पथिक अनजाना


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें