पतझर हाइकु
1
हुई खामोशी
पतझर- सी पीली
घूमे अकेली ।
2
ख़्वाबों के रंग
क्यों हुए बदरंग
बूझो पहेली ।
3
वो ठूँठ बना
करता इंतजार-
आए बहार।
4
वक्त सीखता-
रंगों की पहचान
बन सुजान।
5
बदले चाल
पतझर के बाद
आये बहार।
6
बदले रंग
जीवन व मौसम
क्यों संग- संग।
7
टूटे पत्तों- सी
जिन्दगी की कड़ियाँ
टूटीं- बिखरी।
8
ये एतबार-
यूँ मिलेगी बहार
हो नया प्यार ।
9
वक्त- आईना
कभी न घबराना
चलते जाना।
10
अपना साया
इंद्रधनुष बन
बदले रंग।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (10-04-2014) को "टूटे पत्तों- सी जिन्दगी की कड़ियाँ" (चर्चा मंच-1578) पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आज 10 /04/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in (कुलदीप जी की प्रस्तुति में ) पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
बहुत सुंदर हाइकू...
जवाब देंहटाएंkhoob...
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