बुधवार, 22 अक्टूबर 2014

शेर सुनाता हूँ मैं ......


तुझे याद ना करूँ तो दिल कहता है
कि रूठ जाऊंगा
उसे क्या ख़बर कि तेरी याद आयी
तो मैं टूट जाउंगा 

***

बेखोफ़ करते थे इशक
अब आलम ये है के रहते है खुद को छिपाए हुए
नज़र किसी से मिलती है
तो डरता हूँ शायद एक और बेवफ़ा हम पे नज़र है लगाये हुए 

***

कहती है तू
तेरी याद मैं भुला दूँ
जीने का बस एक ही बहाना
वोह भी मैं गवा दूँ 

***

रात देखे थे तूने जो तारे
आसमान से टूटते हुए
वो अरमान थे मेरे
मुझ से ही रूठते हुए 


***

खुशी का एहसास वोह जाने 
जिसने गम का दरिया देखा हो 
प्यार की कीमत वोह जाने
जिसने बेवफाई का मन्ज़र देखा हो 

***

यादों के साये ने 
तुझे मिलने की आग 
कई बार लगाई है 
जाने क्या क्या कर के ये आग 
मैंने हर बार भुजाई है  

***

तेरे प्यार की सुलगती चिंगारी ने 
सब कुछ तो जला डाला 
मैंने भी राख के इस ढेर को 
दिल में ही छुपा डाला 

***

में हनुमान तो नहीं
जो सीना चीर के दिल में राम दिखा दूँ
एक आम सा इन्सान हूँ
तमन्ना है कि तुझे अपना बना लूँ

***

4 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर प्रस्तुति...........दीवाली की हार्दिक शुभकामनायें! मेरी नयी रचना के लिए मेरे ब्लॉग "http://prabhatshare.blogspot.in/2014/10/blog-post_22.html" पर सादर आमंत्रित है!

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    1. प्रभात जी धन्यवाद... आप को भी दीपावली शुभ हो ....आप की रचना पड़ी बहुत सुंदर भाव है ....दिया एक मिट्टी का जलाना है.. मंगल कामनाएँ

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  2. मित्र !आप को सपरिवार दीपावली की शुभकामना ! सुन्दर प्रस्तुतीकरण !

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    1. देवदत्त जी धन्यवाद् ...आप को भी दीपावली की ढेर सारी मंगल कामनाएँ

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