बुधवार, 3 दिसंबर 2014

"शीतलता बढ़ गई पवन में" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

शीतलता बढ़ गई पवन में।
कुहरा छाया नील गगन में।
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चारों ओर अन्धेरा छाया,
सूरज नभ में है शर्माया,
पंछी बैठे ठिठुर रहे हैं,
देख रहे हैं घर-आँगन में।
कुहरा छाया नील गगन में।

वाहन की गति हुई मन्द है,
चहल-पहल हो गई बन्द है,
शीतल धुआँ नजर आता है,
ऊनी कपड़े लदे बदन में।
कुहरा छाया नील गगन में।

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