रविवार, 1 नवंबर 2015

अस्पताल

अस्पताल
क्या अजब जगह है
बिखरी पड़ी है
वेदना दुःख दर्द 
जीवन मृत्यु के प्रश्न
इसी अस्पताल के 
किसी वार्ड के बिस्तर पर
तड़फती रहती है 
जिजीविषा
दवाइयों 
और सिरंज में 
ढूंढती रहती है जीवन
समीप के बिस्तर से 
गुम होती साँसों को देख
सोचती है 
जिजिबिषा 
कल का सूरज 
कैसा होगा .......

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें