शुक्रवार, 23 अक्टूबर 2015
रंग-ए-जिंदगानी: लघु-कथा - मजबूरी या समझदारी
रंग-ए-जिंदगानी: लघु-कथा - मजबूरी या समझदारी
: शर्मा जी ने जब अपने बेटे राजेश से अपने खर्चे के सिए कुछ पैसे मांगे, तो राजेश नाक-भौं सिकोड़ने हुए बोला, “ पिताजी आपका क्या हैं ? आप तो ...
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