शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2017
मुक्तक "उजड़े चमन को सजा लीजिए"
मुक्तक
प्यार की गन्ध का कुछ मजा लीजिए।
साज खुशियों के अब तो बजा लीजिए।
जिन्दगी को जियो रोज उन्मुक्त हो,
अपने उजड़े चमन को सजा लीजिए।।
1 टिप्पणी:
कविता रावत
17 फ़रवरी 2017 को 1:52 pm बजे
बहुत सुन्दर ....
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बहुत सुन्दर ....
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