बुधवार, 26 सितंबर 2018

केवल पल ही सत्य है

हर पल
कहता है कुछ
फुसफुसा कर
मेरे कानों में

मैं जा रहा हूँ
जी लो मुझे
चला गया तो
फिर लौट न पाऊंगा

बन जाऊंगा इतिहास
करोगे मुझे याद
मेरी याद में
कर दोगे फिर एक पल बर्बाद

इसलिए हर पल को जियो
उठो सीखो जीना
अतीत के लिए क्या रोना
भविष्य से क्या डरना

यह जो पल वर्तमान है
है वही परम सत्य
बाकी सब असत्य
यही कहता है हर पल
फुसफुसा कर मेरे कानों में ।
अभिलाषा चौहान 

9 टिप्‍पणियां:

  1. Very nyc poem... really awesome.... if you want to read business and personality related articles visit chandeldiary.blogspot.com

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  2. सादर आभार आपका आदरणीय सर चर्चामंच पर मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए

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  3. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन श्रद्धांजलि - जसदेव सिंह जी और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  4. बहुत बहुत आभार हर्षवर्धन जी मेरी रचना का चयन
    करने के लिए 🙏

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