शुक्रवार, 28 जून 2019

चन्द माहिया :क़िस्त 60

चन्द माहिया : क़िस्त 60

:1:
हूरों की जीनत में
डूबा है ज़ाहिद
कुछ ख़्वाब-ए-जन्नत में

:2:
घिर घिर आए बदरा
बादल बरसा भी
भींगा न मेरा अँचरा

:3:
ग़ैरों की बातों को
मान लिया तूने
सच,झूठी बातों को

:4:
इतना ही फ़साना है
फ़ानी दुनिया मे
जाना और आना है

:5:
तुम कहती, हम सुनते
बीत गए वो दिन
जब साथ सपन बुनते

-आनन्द.पाठक-

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