सोमवार, 30 मार्च 2020

एक ग़ज़ल : गर्द दिल से अगर--

एक ग़ज़ल : गर्द दिल से अगर--

गर्द दिल से अगर उतर जाए
ज़िन्दगी और भी  निखर जाए

कोई दिखता नहीं  सिवा तेरे
दूर तक जब मेरी नज़र जाए

तुम पुकारो अगर मुहब्बत से
दिल का क्या है ,वहीं ठहर जाए

डूब जाऊँ तेरी निगाहों में
यह भी चाहत कहीं न मर जाए

एक हसरत तमाम उम्र रही
मेरी तुहमत न उसके सर जाए

ज़िन्दगी भर हमारे साथ रहा
आख़िरी वक़्त ग़म किधर जाए

वो मिलेगा तुझे ज़रूर ’आनन’
एक ही राह से अगर जाए

-आनन्द.पाठक-

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