गुरुवार, 23 अप्रैल 2020

भोर का तारा

सुनो
मैंने देखा है कि
तुम खुद से कितना
कतराते हो
स्याह से खुद के
अंधेरों में
छुप जाते हो

पाया है कि
टूटे हो तुम
हर सफर में,
'उस ' से हो
खुद तक पहुंचने की
हर एक कोशिश में
सच है कि
तुम्हारे आसमां में
अब नहीं कोई
चांद न सूरज न तारा

सुनो
मेरी तय नहीं धुरी
तथापि
मैं भोर का तारा हूं

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