सोमवार, 8 मार्च 2021

रणचंडी तू बनके दिखा

सम्हल द्रोपदी शस्त्र उठ अब

कोई कृष्ण न आएगा

रणचंडी तू बनकर दिखा अब।

वार न खाली जाएगा।


अबला समझ के तुझको सबने

निशदिन बहुत सताया है।

बेटी के शत्रु बन बैठे सब,

बेटों पे दिल आया है

उठो द्रोपदी शस्त्र....।।


किसका मुंह देखे तू बैठी,

कोई ना अब आएगा।

स्वयं करेगी अपनी रक्षा,

मान तभी बच पाएगा

उठो द्रोपदी शस्त्र...।।


धर्म-नीति की बातें झूठी

लुटता तेरा मान यहाँ

डर-डर कर जीने वालों की

बढ़ती देखी शान कहाँ

उठो द्रोपदी शस्त्र.....।।


अभिलाषा चौहान






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