शनिवार, 6 मार्च 2021

अनुभूतियाँ 05

 अनुभूतियाँ 05


1

सच ही कहा था तुम ने उस दिन, 

" जा तो रही हूँ  सजल नयन से"

छन्द छन्द में उभरूँगी मैं,  

गीत लिखोगे कभी लगन से। "


2

सुख-दुख का ताना-बाना है,

जीवन है रंगीन  चदरिया ।

नयनो के जल से धोता हूँ,

हँसी खुशी यह कटे उमरिया।


3

बरसों से सच समझ रहे थे ,

लेकिन वह था भरम हमारा।

भला किया जो तोड़ गई तुम

आभारी दिल, करम तुम्हारा ।


4

दीप भले हो और किसी का

ज्योति प्रीत की आती तो है।

पीड़ा मेरी चुपके चुपके ,

किरनों से बतियाती तो है 


-आनन्द.पाठक-


15 टिप्‍पणियां:

  1. सच ही कहा था तुम ने उस दिन,

    " जा तो रही हूँ सजल नयन से"

    छन्द छन्द में उभरूँगी मैं,

    गीत लिखोगे कभी लगन से। "

    वाह श्रीमान! क्या खूब लिकग है आपने। बहुत ही सुंदर कविता! प्रणाम स्वीकार करें 🙏

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  2. अनुपम! छंद में व्यक्त होने की बात । तब जब लिखोगे लगन से । पढ़ कर बहुत अच्छा लगा ।

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  3. वाह! बहुत सुंदर सृजन मन को छूता।
    सादर

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