मंगलवार, 6 अप्रैल 2021
कुछ अनकही सी …………!: ख्वाब
कुछ अनकही सी …………!: ख्वाब
: नन्ही नन्ही आँखों के वो नन्हे से ख्वाब सुनहरे थे कुछ बिखरे कुछ सवरे जो भी थे वो थे मेरे अपने थे नन्हे से घरोंदें में तेरे मेरे ही दिन ...
1 टिप्पणी:
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
7 अप्रैल 2021 को 9:58 am बजे
बहुत सार्थक और सुन्दर।
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बहुत सार्थक और सुन्दर।
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