शनिवार, 3 जुलाई 2021

चन्द माहिए

 

चन्द माहिए

:1
सदक़ात भुला मेरा,
एक गुनह तुम को
बस याद रहा मेरा।

:2:
इक चेहरा क्या भाया,
हर चेहरे में वो
मख़्सूस नज़र आया।

;3:
हो जाता हूँ पागल,
जब जब साने से
ढलता तेरा आँचल।

4
उल्फ़त की यही ख़ूबी.
पार लगा वो ही
कश्ती जिसकी डूबी ।

5
क्या और तवाफ़ करूँ,
इतना ही समझा,
मन पहले साफ़ करूँ।

-आनन्द.पाठक-

मख़्सूस = प्रमुख, प्रधान.ख़ास तौर से
तवाफ़ = परिक्रमा, प्रदक्षिणा

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