रविवार, 17 जुलाई 2022

ॐ नमः शिवाय

 ॐ नमः शिवाय

ॐ नमः शिवाय


कण कण में शंकर 

मन मन में शंकर 

ब्रह्मांड समस्त है 

शिव  शंकाराय 

ॐ नमः शिवाय


भस्म रमाए

और चर्म चढ़ाए

गंगा जटाओं में

ऐसे समाय

ॐ नमः शिवाय


चंद्र विभूषित

शक्ति सुशोभित

त्रिनेत्र में जल थल 

प्रलय है समाय 

ॐ नमः शिवाय


आंखों में करुणा

और विरक्ति के भाव

 विषय वासना पर 

 विजय है शिवाय 

ॐ नमः शिवाय


है प्रेम के भूखे

भाव के भूखे

धतूरा बेल  

विभूति  चढ़ाय

ॐ नमः शिवाय


सोमनाथाय 

ममलेश्वराय

द्वादश ज्योर्तिलिंग 

स्वरूपाय 

ॐ नमः शिवाय


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