सोमवार, 29 जुलाई 2013

महंगाई की मार

कैसे कैसे दिन भी अब आने लगे हैं....
थैले पड़े टमाटर भी मुसकाने लगे हैं...!!

दिन गुजरता था सूखी रोटी पकड़े....
जमे घी रुपया भी पिघलाने लगे हैं...!!

चाय फीकी पड़ती आजकल की...
अदरक का स्वाद बंदर सुनाने लगे हैं....!!

सलाद मे कटे मिलता था कल तक....
आजकल प्याज़ भी आँखें मिलाने लगे हैं...!!

--मिश्रा राहुल

3 टिप्‍पणियां:

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  2. कृपया इसे पढ़ें...
    वाह....
    पर बारिश में आम तौर पर हरी सब्जियाँ नहीं न खाई जाती
    बारिश के लिये गर्मी से तैय्यारी करती है महिलाएँ

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