शनिवार, 5 अक्टूबर 2013

पहले शुचिता फिर सु-चित्त। अंग्रेजी के हिमायती भी जान लें कि Cleanliness is next to Godliness.


ब्लॉगर रविकर …
गुदा-नाम मुख ते फिरे, छी मसले जयराम |
होता शौचालय मुखर, श्रद्धा केंद्र तमाम |

श्रद्धा केंद्र तमाम, खुदा के घर में नाली |
फिर आसन सी सीट, उसी पर बैठ सवाली |

प्राप्त करे सुख चैन, इसी से सत्ता पाना |
मन की शुचिता छोड़, देह पर नाम गुदाना ||
5 अक्तूबर 2013 8:02 am
 हटाएं
ब्लॉगर प्रवीण पाण्डेय …
जो मन में भरा होगा, वही बाहर आयेगा। शारीरिक और मानसिक शुचिता आधारभूत हैं।
5 अक्तूबर 2013 8:53 am
 हटाएं

काग्रेस तो मौका ढूढ ही रही थी कि कब मोदी को घेरे तो मिल गया मौका । पर बात सही है पहले शुचिता फिर सु-चित्त। अंग्रेजी के हिमायती भी जान लें कि Cleanliness is next to Godliness.


हाई कमान को खुश करने के लिए मुंह से मल 


जैराम रमेश  जी को कांग्रेस का थिंक टैंक समझा जाता था। उनकी एक बौद्धिक उजास रही है लेकिन अब वह काशीराम जी के स्तर पर 


ही उतर आये हैं जिनकी भारत में कोई बौद्धिक छवि नहीं थी  -जो कहते थे-



 तिलक  ,तराजू और तलवार ,इनको मारो जूते चार। 

मोदी साहब के "शौचालय " के बयान का मतलब सिर्फ इतना है आदमी का पहले तन पवित्र हो फिर मन की शुचिता हो। फिर वह मंदिर 

जाए। 

जैराम पूछते हैं -क्या मोदी जी -अयोध्या में एक बड़ा  शौचालय बनवाने के काशीराम जी  के बयान से सहमत हैं। 

ये ऐसा ही जैसे मुख की जगह गुदा ले ले। पूछा जा सकता है क्या रमेश जी कांग्रेस के सब मंत्रियों के आवासों को ,पंडारा रोड स्थित 

समस्त  आवासों को शौचालयों में बदलवाने को तैयार हैं ?तो फिर देवालय पर बात की जा सकती है। 

उन जैसे बौद्धिक व्यक्ति से ऐसी उम्मीद नहीं थी वह हाई कमान को खुश करने के लिए मुंह से मल  करने लगेंगे।  

एक प्रतिक्रिया ब्लॉग पोस्ट :


शब्द-शिखर

शुक्रवार, 4 अक्तूबर 2013


'देवालय' बनाम 'शौचालय'

'देवालय' बनाम 'शौचालय' ....मुद्दा फिर चर्चा में है। कभी स्व. काशीराम, कभी जयराम रमेश और अब नरेन्द्र मोदी ....पर इसे मात्र मुद्दे और विचारों तक रखने की ही जरुरत नहीं है, इस पर ठोस पहल और कार्य की भी जरुरत है। आज भी भारत में तमाम महिलाएं  'शौचालय' के अभाव में अपने स्वास्थ्य से लेकर सामाजिक अस्मिता तक के लिए जद्दोजहद कर रही हैं। स्कूलों में 'शौचालय' के अभाव में बेटियों का स्कूल जाना तक दूभर हो जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो काफी बुरी स्थिति है। पहले घर और स्कूलों को इस लायक बनाएं कि महिलाएं वहाँ आराम से और इज्जत से रह सकें, फिर तो 'देवालय' बन ही जाएंगें। इसे सिर्फ राजनैतिक नहीं सामाजिक, शैक्षणिक, पारिवारिक  और आर्थिक रूप में भी देखने की जरुरत है !!

फ़िलहाल, राजनैतिक मुद्दा क्यों गरम है, इसे समझने के लिए पूरी रिपोर्ट पढ़ें, जो कि  साभार प्रकाशित है।

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने नरेंद्र मोदी को उनके उस बयान पर आडे हाथों लिया है जिसमें उन्होंने देवालय से ज्यादा महत्व शौचालय को देने की बात कही थी। खुद भी ऎसा ही बयान दे चुके रमेश ने कहा कि मोदी ऎसे नेता हैं जो रोज नए रूप में सामने आते हैं। मोदी को यह बताना चाहिए कि क्या वह अयोध्या में महा शौचालय बनाने के कांशीराम के सुझाव से सहमत हैं। एक कार्यक्रम के दौरान टीवी पत्रकारों से बात करते हुए जयराम रमेश ने कहा, अब जब उन्होंने देवालय से पहले शौचालय की बात कह दी है तो उन्हें यह भी साफ करना चाहिए क्या वह अयोध्या में ब़डा सा शौचालय बनवाने के कांशीराम के सुझाव से भी सहमत हैं या नहीं। उन्होंने कहा, कांशीराम जी ने एक रैली में यह सुझाव दिया था।

उन्होंने कहा, अब मेरे बीजेपी के दोस्त क्या कहेंगे। मोदी के बयान पर वो क्या राय रखते हैं। जब मैंने कुछ ऎसा ही बयान दिया था तो विरोध हुआ। राजीव प्रताप रूडी और प्रकाश जावडेकर ने मुझपर धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया पर अब वे क्या कहेंगे। इनके अलावा कुछ संगठनों ने विरोध का बेहद ही खराब तरीका अपनाया और मेरे घर के सामने पेशाब की बोतल रख दी। मोदी पर निशाने साधते हुए उन्होंने कहा, चलो देर से ही सही पर मोदी को ज्ञान तो मिला पर उनकी ये बयानबाजी सिर्फ राजनीति के कारण है क्योकि गुजरात के सीएम पीएम बनने का सपना देख रहे हैं। जयराम रमेश ने कहा कि खुद को हिंदुत्ववादी बताने वाले मोदी अब नए अवतार में सामने आए हैं। वह ऎसे नेता हैं जो रोज नए अवतार में सामने आते हैं। हमारे यहां दशावतार की बात कही जाती है, लेकिन उनके लिए यह शब्द कम पडेगा। वह शतावतार वाले नेता हैं। रमेश ने मोदी के शौचालय वाले बयान पर निशाना साधते हुए कहा कि 2011-12 में गुजरात सरकार ने दावा किया था कि ग्रामीण इलाकों में लगभग 82 फीसदी घरों में शौचालय हैं, पर सही आंकडा सिर्फ 34 फीसदी है। इससे विकास के दावे पूरी तरह से सामने आ जाते हैं।

गौरतलब है कि खुद जयराम रमेश ने कुछ दिन पहले ऎसा बयान दिया था कि गांव में मंदिर बनवाने से ज्यादा जरूरी है कि शौचालय की व्यवस्था करना। उनके उस बयान की काफी आलोचना हुई थी। उस बयान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, मैंने देवालय का नाम नहीं लिया था। लेकिन उस बयान पर हंगामा मचाने वाले लोगों को अब मोदी के इस बयान पर अपना रूख साफ करना चाहिए। 

दिग्गी ने पूछा, भाजपा अब चुप क्यूं... 
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने अखबार के एक पुराने लेख का उललेख किया जिसमें मोदी के हवाले से कहा गया था कि वो लोग जो शौचालय साफ करते हैं उन्हें ऎसा करने में आध्यात्मिक खुशी मिलती है जबकि केन्द्रीय मंत्री राजीव शुक्ला ने कहा कि "मोदी हिन्दू नेता नहीं" हैं लेकिन हिन्दुओं को भ्रमित करने व वोट इकटा करने के लिए उन्हें ऎसा पेश किया जा रहा है।

रमेश का भाजपा ने किया था विरोध...
शुक्ला ने कहा कि मोदी जो कुछ भी कहते हैं उस पर भाजपा चुप्पी मार जाती है और उन्हें समर्थन देना शुरू कर देती है। जयराम रमेश ने एक बार कहा था कि गावों में मंदिर से पहले शौचालय बनना चाहिए। तब भाजपा ने तत्काल रमेश की आलोचना की थी और मांग की कि उन्हें देश से माफी मागनी चाहिए। शुक्ला ने कहा,जब मोदी ने ऎसा कहा तो भाजपा अपना मुंह क्यों नहीं खोल रही है। मोदी कोई हिन्दू नेता नहीं हैं। उन्होंने हिन्दुओं के लिए कुछ किया भी नहीं है। उनकी राय भी पूरी तरह से अलग है। वोट हासिल करने के षडयंत्र के तहत लोगों को, हिन्दुओं को भ्रमित करने के लिए उन्हें इस तरह से पेश किया जा रहा है।

क्या मोदी ने शौचालय साफ किया...
मोदी के कटु आलोचक समझे जाने वाले कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि उन्होंने एक लेख देखा है जिसमें मोदी ने कहा था कि जो शौचालयों को साफ करते हैं उन्हें इसकी सफाई करने में आध्यात्मिक खुशी मिलती है। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या उन्हें कभी इस तरह की खुशी का अनुभव हुआ था और शौचालय साफ किया था। 
प्रस्तुतकर्ता पर  

1 टिप्पणी:

  1. चित की शुचिता के लिए, नित्य कर्म निबटाय |
    ध्यान मग्न हो जाइये, पड़े अनंत उपाय |

    पड़े अनंत उपाय, किन्तु पहले शौचाला |
    पढ़ देवा का अर्थ, हमेशा देनेवाला |

    रविकर जीवन व्यस्त, करे कविता जनहित की |
    आत्मोत्थान उपाय, करेगी शुचिता चित की |

    जवाब देंहटाएं