मंगलवार, 6 अक्टूबर 2015

जिंदगी हर किसी की





जिंदगी हर किसी की मिल जाती है कहानी में
वो आदमी भी सिकन्दर था कभी जवानी में

पहचानने से बज्म में इन्कार करता है उसे
खत वो अनगिनत जिसकी छुपा रखा है सिरानी में

कोई समझे कहाॅ दिल की हालात-ए-रंग क्या क्या है
जाकर देख ले हर साख को उजड़़े हुए बगानी में

मुहब्बत में बड़़े किस्से हुए इस जमीं के हर शहर में
डूबकर भी मर गए कुछ आॅख की पानी में

लवण्डर से महकते उसके लिबास भी खूब होंगे
मैं गम लिए बैठा हूं उसके इश्क़ की निशानी में

हर शख़्स है चित्रों में किरदार अपना ढूढ़ता फिरता
मैं प्रेम का प्यासा अभी खोया हुआ कबीरा की बानी में

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