बुधवार, 30 सितंबर 2020

चन्द माहिए

 चन्द माहिए ...


1

सौ बुत में नज़र आया

सब में दिखा वो ही

जब दिल में उतर आया


2

जाना है तेरे दर तक

ढूँढ रहा हूँ मैं

इक राह तेरे घर तक


3

पंछी ने कब माना

मन्दिर-मस्जिद का 

होता है अलग दाना 


किस मोड़ पे आज खड़े ?

क़त्ल हुआ इन्सां

मज़हब, मज़हब से लड़े 


5

इक दो अंगारों से 

समझोगे क्या ग़म 

दरिया का, किनारों से?


-आनन्द  पाठक-


10 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 01.10.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

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  2. उत्तर
    1. आभार आप का---यह क्षणिकाएँ नहीं --माहिया है
      सादर

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