शनिवार, 25 फ़रवरी 2023

जो प्राप्त है वही पर्याप्त है कौवे की हिंदी कहानी।

किसी जंगल में एक कौवा रहता था। वो हमेशा खुश रहता था क्योंकि उसकी ज्यादा इच्छाएं नहीं थीं। वह अपनी जिंदगी से संतुष्ट था  लेकिन एक बार उसने जंगल में किसी हंस को देख लिया और उसे देखते ही कौवा सोचने लगा, ऐसा प्राणी तो मैंने पहले कभी नहीं देखा, इतना साफ और सफेद यह तो इस जंगल में औरों से बहुत सफेद और सुंदर है, इसलिए यह तो बहुत खुश रहता होगा। 


कौवा हंस के पास गया और पूछा, भाई तुम इतने सुंदर हो, इसलिए तुम बहुत खुश होगे ! इस पर हंस ने जवाब दिया- 'हां, मैं पहले बहुत खुश रहता था, जब तक मैंने तोते को नहीं देखा था। उसे देखने के बाद से लगता है कि तोता धरती का सबसे सुंदर है। अपन दोनों के शरीर का तो एक ही रंग है, लेकिन तोते के शरीर पर दो-दो रंग हैं, उसके गले में लाल रंग का घेरा और वो सुर्ख हरे रंग का था, सच में वो खूबसूरत था।


अब कौवे ने सोचा कि हंस तो तोते को सबसे सुंदर बता रहा है, तो फिर उसे देखना होगा। कौवा तोते के पास गया और पूछा- भाई, तुम दो-दो रंग पाकर बड़े खुश होगे? इस पर तोते ने कहा- हां, मैं तब तक खुश था जब तक मैंने मोर को नहीं देखा था। मेरे पास तो दो ही रंग हैं लेकिन मोर के शरीर पर तो कई तरह के रंग हैं। 




कौवे ने सोचा कि सबसे ज्यादा खुश कौन है, यह तो मैं पता करके ही रहूंगा इसलिए अब मोर से मिलना ही पड़ेगा। कौए ने मोर को जंगल में ढूंढा लेकिन उसे पूरे जंगल में एक भी मोर नहीं मिला। मोर को ढूंढते-ढूंढते वह चिड़याघर में पहुंच गया तो देखा कि मोर को देखने बहुत से लोग आए हुए हैं और उसके आसपास अच्छी खासी भीड़ है। 


सब लोगों के जाने के बाद कौवे ने मोर से पूछा- 'भाई, तुम दुनिया के सबसे सुंदर और रंगबिरंगे जीव हो, तुम्हारे साथ लोग फोटो खिंचवा रहे थे। तुम्हें तो बहुत अच्छा लग रहा होगा और तुम तो दुनिया के सबसे खुश जीव होगे?— इस पर मोर ने दुखी होते हुए कहा, अगर सुंदर हूं तो भी क्या फर्क पड़ता है! 


मुझे लोग इस चिड़याघर में कैद करके रखते हैं, लेकिन तुम्हें तो कोई चिड़याघर में कैद करके नहीं रखता और तुम जहां चाहो, अपनी मर्जी से घूम- फिर सकते हो। इसलिए दुनिया के सबसे संतुष्ट और खुश जीव तो तुम्हें होना चाहिए, क्योंकि तुम आजाद रहते हो। कौवा हैरान रह गया, क्योंकि उसके जीवन की अहमियत कोई दूसरा बता गया।


कहानी से सीख - हमारी जिंदगी में बहुत सारी ऐसी चीजें होती हैं जो केवल हमारे पास हैं, लेकिन हम उसकी अहमियत समझकर खुश नहीं होते। वहीं दूसरों की छोटी खुशी भी हमें बड़ी लगती है, जबकि हम अपनी बड़ी खुशियों को इग्नोर कर देते हैं और फिर दुखी रहने लगते हैं जबकि जो प्राप्त है वही पर्याप्त है।

दुनिया

 कभी-कभी लगता है, 

सब अपने ही तो हैं, 

कह दूँ सारी बातें,

खोल दूँ सारी गिरहें, 

गिरा दूँ सारे पर्दे,


फिर रोक लेती हूँ ख़ुद को, 

कितने भी अपने हों?

हैं तो सभी दुनिया वाले! 

और यह दुनिया कभी किसी की हुई है क्या?


यह दुनिया लोगों को बदनाम करने का दम रखती है, 

यह दुनिया लोगों को बेवजह परेशान करने का दम रखती है,

दुनिया ही तो है जिसे चढ़ाने में भी पल भर लगता है,

और गिराने में भी वक्त नहीं लगता,


सावधान! इस दुनिया से,

जिसे तुम अपना कहते हो वह तो बस सपना है,

जब तक नींद न खुले बस उतने ही पल अपना है।

शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2023

क्षितिज

'क्षितिज' एक ऐसा स्थान जहां धरती और आकाश के मिलने का भान मात्र होता है ।भान मात्र इसलिए कहा, क्योंकि क्या धरती और आकाश का मिलना संभव है? वह तो केवल आभास मात्र है। आभास भी बड़ा ही महत्वपूर्ण शब्द है। यह आभास ही जीवन जीने की कड़ी है। यदि आभास ना हो तो यह दुनिया ही न हो। यह संसार भी तो आभास मात्र ही है। सबका आभास  बना रहे और संसार चलता रहे।🙏🙏🙏

गुरुवार, 23 फ़रवरी 2023

दृष्टिकोण

'दृष्टि' यह शब्द गूढार्थ लिए हुए हैं।दृष्टि से ही दृष्टिकोण बनता है। आप जैसे दृष्टि अपनाएंगे उसी के अनुरूप आपका दृष्टिकोण बनेगा। दृष्टि के द्वारा भी ऊर्जा प्रवाहित होते हैं। आपकी दृष्टि भी दूसरों पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। उसी प्रकार आप पर भी दूसरों की दृष्टि का प्रभाव पड़ता है। इसलिए दूसरों के प्रति अनुकूल दृष्टि रखें जिससे सकारात्मक दृष्टिकोण का निर्माण हो सके और वह ऊर्जा आपके चारो ओर इतनी प्रबल रूप से फैली रहे कि किसी अन्य की बुरी दृष्टि आपको प्रभावित न कर सके।🙏🙏🙏

बुधवार, 22 फ़रवरी 2023

मेरी कलम से

             शांत मन ,शांत मस्तिष्क, शांत हृदय 
शांति सुख से ही प्राप्त होती है ।सुख का मापदण्ड सबके लिए अलग-अलग है।किसी का सुख सांसारिक वस्तुओं में है तो किसी का पारलौकिक। वास्तविक सुख की परिकल्पना अत्यंत सूक्ष्म है ।सुख को आनंद का पर्याय भी कह सकते हैं,लेकिन सुख और आनंद में पर्याप्त अंतर है।जो इस अंतर  को समझ सकें वे सभी आनंदित हो और अन्य सभी सुखी रहें।🙏🙏🙏

रविवार, 19 फ़रवरी 2023

मेरी कलम से

 कभी-कभी बहुत कुछ लिखने का मन करता है,लेकिन लिख नहीं पाती। बहुत कुछ कहने का मन करता है, लेकिन कह नहीं पाती। 'मजबूरियां' रोकती हैं ।आखिर क्या है यह- मजबूरी। यह एक ऐसा शब्द है जिसे व्याख्यायित करना बहुत मुश्किल है।मजबूरियों के अनेक रूप हैं। हर व्यक्ति कहीं न कहीं मजबूर अवश्य है। संसार में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं होगा जो किसी न किसी बात पर मजबूर ना हो। भगवान राम की अपनी अलग मजबूरियां थी, कृष्ण की अपनी अलग। कभी सीता मजबूर थी, तो कभी राधा। कहने का तात्पर्य यह है कि जब देव पुरुष भी इन मजबूरियों से नहीं बच पाए तो हम जैसे साधारण मानव की बिसात ही क्या है? शायद यह मजबूरी ही संसार चक्र का कारण है। सभी एक दूसरे से जुड़े हैं,कभी प्रेम की मजबूरी के कारण तो  कभी लोक लाज की मजबूरी के कारण।  सभी अपने कार्य के प्रति वफादार हैं, कभी कर्तव्य की मजबूरी का कारण तो कभी आर्थिक हालात की मजबूरी के कारण।जहां मजबूरी खतम वहीं सारे बंधन,मोह- माया भी खतम। शायद गीता में श्रीकृष्ण ने इसी मजबूरी को मोह का नाम दिया  हो और इसे त्यागने के लिए अर्जुन को ज्ञान दिया हो।😊🙏🙏🙏

मंगलवार, 7 फ़रवरी 2023

एक प्रणय गीत

 [डायरी के पन्नों से------एक प्रणय गीत --


खोल कर यूँ न ज़ुल्फ़ें चलो बाग़ में, प्यार से है भरा दिल,छलक जाएगा


 ये लचकती महकती हुई डालियाँ

 झुक के करती हैं तुमको नमन, राह में

 हाथ बाँधे हुए सब खड़े फ़ूल  हैं

 बस तुम्हारे ही दीदार  की  चाह में


यूँ न लिपटा करों शाख़  से पेड़  से, मूक हैं भी तो क्या ? दिल धड़क जायेगा


 एक मादक बदन और उन्मुक्त मन

 बेख़ुदी में क़दम लड़खड़ाते हुए

 एक यौवन छलकता चला  आ रहा

 होश फूलों का कोई उड़ाते हुए


यूँ न इतरा के बल खा चला तुम करो, ज़र्रा ज़र्रा चमन का  महक जाएगा


 आसमाँ से उतर कर ये कौन आ गया ?

 हूर जन्नत की या अप्सरा या परी  ?

 हर लता ,हर कली ,फ़ूल पूछा किए

 यह हक़ीक़त है या रब की जादूगरी ?


देख ले जो कोई मद भरे दो नयन, आचमन के बिना ही बहक जाएगा


  तुमको देखा तो ऐसा लगा क्यों मुझे

 ज़िन्दगी आज अपनी सफल हो गई

 मन खिला जो तुम्हारा कमल हो गया

 और ख़ुशबू बदन की ग़ज़ल हो गई


लाख कोशिश करूँ पर रुकेगा नहीं, दिल है मासूम मेरा भटक जाएगा ।

खोल कर यूँ न ज़ुल्फ़ें चलो बाग़ में , प्यार से है भरा दिल,छलक जाएगा ॥


-आनन्द पाठक-

गुरुवार, 2 फ़रवरी 2023

कुछ अनुभूतियाँ

 कुछ अनुभूतियाँ 


1

अगर तुम्हे लगता हो ऐसा

साथ छोड़ना ही अच्छा है

जिसमे खुशी तुम्हारी, प्रियतम!

इसमे मुझको क्या कहना है


2

जा ही रहे हो लेते जाना

टूटा दिल यह, सपने सारे

क्या करना अब उन वादों का

तड़पाएँगे साँझ-सकारे ।


3

छोड़ गई तुम ख़ुशी तुम्हारी

लेकिन याद तुम्हारी बाक़ी

तुम्हें मुबारक नई ज़िंदगी

 रहने दो मुझको एकाकी


4

जहाँ रहो तुम, ख़ुश रहना तुम

खुल कर जीना हँसते गाते

अगर कभी कुछ वक़्त मिले तो

मिलते रहना आते-जाते


-आनन्द.पाठक-