ये धरा राम का धाम है।।
सच्चा-सच्चा लगे,
सबसे अच्छा लगे,
कितना प्यारा प्रभू नाम है।
ये धरा राम का धाम है।।
नाम जप लो अभी,
राम भज लो सभी,
लगता कोई नहीं दाम है।
ये धरा राम का धाम है।।
वो खुदा-ईश्वर,
सबको देता है वर,
वो ही रहमान है श्याम है।
ये धरा राम का धाम है।।
वो अजर है अमर,
सब जगह उसका घर,
सबके करता सफल काम है।
ये धरा राम का धाम है।।
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गुरुवार, 26 नवंबर 2015
गीत "ये धरा राम का धाम है" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
बुधवार, 25 नवंबर 2015
हास्य कलाकार अभय सिंह ‘बंटू’ ने टीवी शो ‘चिड़ियाघर’ में इंट्री मारी
उत्तर प्रदेश का प्रतापगढ़ जिला किसी से पहचान का मोहताज नहीं है। यहां की प्रतिभाओं ने राजनीति से लेकर अभिनय के क्षेत्र तक अपनी बुलंदी का झंड़ा गाड़ रखा है। प्रतापगढ़ जिले के बिहारगंज भोजपुर निवासी हास्य कलाकार अभय सिंह ‘बंटू’ ने टीवी शो ‘चिड़ियाघर’ में इंट्री मारी है। सब टीवी चैनल पर आने वाले चिड़ियाघर के इस प्रोग्राम में वह मुख्य भूमिका में नजर आएंगें। इस कार्यक्रम की शुरूआत 30 नवम्बर से हो रही है। अभय की इस उपलब्धी से गांव में जश्न का माहौल है। सदर तहसील के बिहारगंज भोजपुर गांव निवासी अभय सिंह ने टीवी सीरियल में लाफ्टर प्रोग्राम से अपने कैरियर की शुरूआत की। हास्य कलाकार अभय ने लाफ्टर प्रोग्राम में अपनी प्रतिभा के माध्यम से लोगों को खूब गुदगुदाया और यह प्रोग्राम काफी चर्चित रहा। इसके बाद अभय ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। पिटरशन हिल, लापतागंज, चितौड़ की रानी, सावधान इंडिया सहित कई टीवी सीरियलों में काम किया। इसी बीच सब टीवी पर चिड़ियाघर नाम प्रोग्राम में अभय को काम करने का मौका मिला। यह प्रोग्राम हंसी के हसगुल्ले व कॉमेडी से पूरी तरह भरा हुआ है। इसमें अभय मुख्य किरदार (लीड रोल) की भूमिका में नजर आएगा। चिड़ियाघर प्रोग्राम की लांचिंग 30 नवम्बर को होने जा रहा है। प्रोग्राम सब टीवी पर 30 नवम्बर से रात 9 से 9:30 बजे तक प्रत्येक सोमवार से शुक्रवार तक चलेगा। अभय की इस कामयाबी से परिजनों में खुशी का माहौल है। बातचीत के दौरान अभय सिंह ने बताया कि चिड़ियाघर सीरियल में वह मुख्य भूमिका में नजर आएंगें। उन्होंने सीरियल के कुछ अंश शेयर करते हुए कहा कि इसमें टामी तिवारी हीरो की भूमिका मुझे मिली है। इसमें वह करोड़पति परिवार से है। टामी तिवारी एक तितली पांडेय नामक लड़की को पंसद करता है, लेकिन वह उससे अपने प्यार का इजहार नहीं कर पाता, क्योंकि उसे प्यार का मतलब और उस लड़की को उसे अपना बनाने का तरीका नहीं मालूम है। ऐसे में उसे लड़की से मिलाने में उसका दोस्त पप्पी पांडेय उसका साथ देता है और उसे अपने पास लाने तरीका बताता है।
रविवार, 22 नवंबर 2015
मुलायम का आधुनिक ‘समाजवाद’
‘समाजवाद’ और ‘पूंजीवाद’ दोनों शब्दों के बीच पारस्परिक अन्तर्द्वन्द है। ‘समाजवाद’ में जहां समाज, संस्कृति, परम्परा और आम आदमी की बात झलकती है वहीं ‘पूंजीवाद’ में इसके ठीक विपरीत की क्रियाओं का आभास हुआ करता है। यूं तो ‘समाजवाद’ शब्द त्रेतायुग से प्रचलित है। भगवान राम का अभिमानी रावण के खिलाफ संघर्ष ‘समाजवाद’ का ही द्योतक माना गया। भगवान श्रीकृष्ण का कंस के आमनुषिक शासन के विरुद्ध छेड़ा गया अभियान भी ‘समाजवाद’ का रूप है। अगर यह ‘समाजवाद’ अपने स्वरुप को बदलकर ‘पूंजीवाद’ में परिवर्तित हो जाय और उसका आचरण करने वाले खुद को समाजवादी बोलें तो उसे एक नया नाम आधुनिक ‘समाजवाद’ दिया जा सकता है। 21 नवंबर 2015 की रात उत्तर प्रदेश के सैफई गांव में समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के 77वें जन्मदिन समारोह में जो देखने को मिला उसे देखकर मैने इसे मुलायम का आधुनिक ‘समाजवाद’ नाम देने की कोशिश की है। समाजवादी पार्टी के मुखिया खुद को डॉ. राम मनोहर लाहिया का अनुयायी बताते हैं। वह उनके समाजवादी विचारों से प्रभावित हैं। ऐसा लगता है कि आने वाले समय में डॉ. लोहिया का समाजवाद न अपनाकर मुलायम सिंह यादव के अनुयायी मुलायम के आधुनिक ‘समाजवाद’ की परंपराओं का अनुपालन करेंगे। बर्थडे केक काटने से पहले मुलायम सिंह यादव ने यह कहकर रही बात पूरी कर दी कि ‘समाजवाद का मतलब भूखा नंगा, नहीं बल्कि संपन्नता है।’ सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन किसी महापर्व से कम नही था। चारों ओर सुबह से रात तक जश्न का माहौल दिखाई दिया। गांव की सभी इमारतें बिजली की रंग-बिरंगी रोशनी के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के फूलों से सजाई गई थीं। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव का पैतृक आवास भी फूलों व बिजली की लाइटों से सजाया गया था और मुख्य सड़क से लेकर उनके घर तक तोरणद्वार भी बनाये गये थे। शाम के समय बिजली की रंग-बिरंगी सजावट बाहर से आने वाले मेहमानों के लिए काफी आकर्षण का केन्द्र रही। जिस तरह से सपा मुखिया के जन्मदिन पर जो ऐतिहासिक कार्यक्रम आयोजित किया गया था उसे देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मानो दीपावली का त्योहार फिर से आ गया हो। मुलायम सिंह यादव के इस जन्मदिन समारोह में कितने रुपये फूंके गए। यह रुपए कहां से आये। इस पर बात करना मूर्खता होगी क्योंकि इन सबके अपने-अपने तर्क हैं। कोई इसे पार्टी के फंड का हिस्सा कहेगा तो कोई इसे खुद मुलायम परिवार की कमाई बताएगा। पर जवाब तो जनता को देना है कि वह किस समाजवादी विचारधारा की पोषक है। डॉ. लोहिया की या फिर मुलायम सिंह यादव के आधुनिक ‘समाजवाद’ की। मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन समारोह के लिए सैफई में जो मंच बनाया गया था, उसकी लागत ढाई करोड़ रुपए आयी। इस कार्यक्रम में आये पांच सौ लोगों के लिए आगरा के होटल आईटीसी मुगल की कैटरिंग बुक की गई थी। लंदन से बग्घी मंगवाई गई थी, दस कुंतल फूल मंगाये गए थे। इसके अलावा क्या कुछ हुआ होगा? इसे आप स्वत: समझ सकते हैं। पानी की तरह इस समारोह में फूंके गए पैसे किसके हैं। जरा उत्तर प्रदेश की हालत देखिये। गन्ना किसान रो रहे हैं। नहरों में पानी नहीं मिल रहा है। किसानों की बिजली नहीं मिल पा रही है। पूरे उत्तर प्रदेश में सड़कों की हालत बद से बदतर है। गेहूं की फसल तैयार हुई तो बेमौसम बारिश ने किसानों के सपने तोड़ दिए। दर्जनों की संख्या में किसानों ने मजबूर होकर मौत को गले लगा लिया। धान की फसल सूखे की स्थिति के कारण अच्छी नहीं हो सकी। दंगों का जिक्र क्या करें। मुजफ्फर नगर और दादरी कांड तो सभी जानते हैं। अपराध चरम पर है। आये दिन पुलिस अधिकारी से लेकर आम आदमी तक की हत्या हो रही है। 1.72 लाख शिक्षामित्रों का भविष्य संकट में है। इन सब विपरीत परिस्थितियों के बावजूद सैफई में विलासिता का जश्न हो रहा है। अच्छा होता के इस कार्यक्रम में आरआर रहमान का शो कराने के बजाय प्रदेश भर में स्थानीय कलाकारों का शो करा दिया गया होता। इससे उन्हें ही कुछ पारिश्रमिक मिल जाता। अच्छा होता कि पानी की तरह फूंके गए इस पैसे को मुख्यमंत्री राहत कोष से सहायता मांग रहे फरियादियों को इमदाद दे दी गई होती। प्रतापगढ़ जिले के विकास खंड गौरा के सुरवां मिश्रपुर निवासी विजय यादव के पशुओं को किसी अपराधिक व्यक्ति ने जहर देकर मार डाला था। विजय यादव अपना परिवार चलाने के लिए मोहताज है। इन्हीं पशुओं से वह दूध बेचकर परिवार का भरण पोषण करता था। उसने मुख्यमंत्री से सहायता की फरियाद की थी, पर फरियाद बेकार गई। विजय की ही तरह कई और भी फरियादी है, जिसके ऊपर ‘सरकार’ की नजर नहीं पड़ी। वर्ष 2014 में मुलायम सिंह के करीबी आजम खां ने रामपुर में उनका शाही जन्मदिन मनाया था। इसके बदले में मुलायम सिंह यादव ने उन्हें मौलाना मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय की सौगात दी थी। इसी तरह मुलायम सिंह का समाजवादी परिवार हर साल सैफई महोत्सव के नाम पर अरबों रुपए नाच गाने पर फूंकता है। मुलायम सिंह यादव और उनके परिवार की इस गतिविधि पर किसी को आपत्ति करने का हालाकि किसी को कानूनी अधिकार नहीं है। मेरा भी आशय इस पर किसी प्रकार की आपत्ति करने का नहीं। मेरा आशय सिर्फ इतना है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रुप में अखिलेश यादव का फर्ज सिर्फ अपने पिता का विलासितापूर्ण जन्मदिन मनाने का ही नहीं, बल्कि उन सारे लोगों के पिता के जन्मदिन मनाने का माहौल बनाने की है जो उत्तर प्रदेश में निवास करते हैं। अकेले मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन मनाकर वह कुछ महीने, साल तक खुश रह सकते हैं, पर उत्तर प्रदेश के लोगों के दिलों पर राज नहीं कर सकेंगे।
शुक्रवार, 20 नवंबर 2015
Rangraj: SWACHH BHARAT
Rangraj: SWACHH BHARAT: SWACHH BHARAT During my service period about 15 years back I have constructed a house in a remote locality with my house being the las...
Andhra born. mother toungue Telugu. writing language Hindi. Other languages known - Gujarati, Punjabi, Bengali, English.Published 8 books in Hindi and one in English.
Can manage with Kannada, Tamil, assamese, Marathi .
Published Eight books in Hindi containing Poetry, Short stories, Currect topics, Essays, analysis etc. All are available on www.Amazon.in/books with names Rangraj Iyengar & रंगराज अयंगर
रविवार, 15 नवंबर 2015
देश के भविष्य
बच्चो,
तुम इस देश के भविष्य हो,
तुम दिखते हो कभी,
भूखे, नंगे ||
कभी पेट की क्षुधा से,
बिलखते-रोते.
एक हाथ से पैंट को पकड़े,
दूजा रोटी को फैलाये ||
कभी मिल जाता है निवाला
तो कभी पेट पकड़ जाते लेट,
होली हो या दिवाली,
हो तिरस्कृत मिलता खाना ||
जब बच्चे ऐसे है,
तो देश का भविष्य कैसा होगा,
फिर भीबच्चो,
तुम ही इस देश के भविष्य हो ||
नोट :- सभी चित्र गूगल से लिए गए है |
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Rishabh Shukla
चन्द माहिया :क़िस्त 22
चन्द माहिया : क़िस्त २२
:१:
एहसास रहे ज़िन्दा
तेरे होने की
इक प्यास रहे ज़िन्दा
:२:
आना हो न गर मुमकिन
जब दिल में मेरे
फिर क्या जीना तुम बिन
:३:
आँखों में समाए वो
अब क्या मैं देखूँ
आ कर भी न आए वो
:४:
जिस दिल में न हो राधा
साँसे तो पूरी
पर जीवन है आधा
:५:
पा कर भी जब खोना
टूटे सपनों का
फिर क्या रोना-धोना !
आनन्द.पाठक
०९४१३३९५५९२
:१:
एहसास रहे ज़िन्दा
तेरे होने की
इक प्यास रहे ज़िन्दा
:२:
आना हो न गर मुमकिन
जब दिल में मेरे
फिर क्या जीना तुम बिन
:३:
आँखों में समाए वो
अब क्या मैं देखूँ
आ कर भी न आए वो
:४:
जिस दिल में न हो राधा
साँसे तो पूरी
पर जीवन है आधा
:५:
पा कर भी जब खोना
टूटे सपनों का
फिर क्या रोना-धोना !
आनन्द.पाठक
०९४१३३९५५९२
न आलिम न मुल्ला न उस्ताद ’आनन’ //
अदब से मुहब्बत अदब आशना हूँ//
सम्पर्क 8800927181
सोमवार, 9 नवंबर 2015
आरएसएस प्रमुख मोदी से नाराज है?
बिहार चुनाव परिणाम आने के बाद भारतीय जनता पार्टी सबसे अधिक बेचैन है। सबसे अधिक दुखी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दिख रहे हैं। प्रधानमंत्री के अथक प्रयास के बाद भी मतदाताओं ने उनके ऊपर भरोसा नहीं किया। इसके पीछे दो कारण हो सकते हैं। पहल यह कि मतदाताओं को व्यक्तिगत रूप से मोदी की कार्यशैली पसंद नहीं आ रही है। दूसरा यह कि प्रधानमंत्री मोदी के ऊपर आरएसएस अपना वर्चस्व कायम करना चाहता है, जिसे उन्होंने मंजूर नहीं किया तो चुनाव के दौरान अनाप शनाप बयानबाजी करके माहौल खराब कर दिया। इन दोनों बातों पर गौर करने लायक है। पहली बात की पुष्टि तो खुद भारतीय जनता पार्टी के ही नेता किया करते हैं। जैसा कि परिणाम आने के बाद बिहार के कद्दावर भाजपा नेता शत्रुघ्न सिन्हा का बयान आया है कि ‘डीएनए’ और ‘शैतान’ जैसी भाषा ने पार्टी को नुकसान पहुंचाया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि पूरे चुनाव में प्रचार अभियान के अन्तर्गत भाजपा ने बिहार में जंगलराज होने की दुहाई दी। ऐसी भाषाओं के प्रयोग से भाजपा को नुकसान पहुंचा। दूसरे बिन्दु पर गौर करें तो यह बात समझ में नहीं आती कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बिहार चुनाव प्रचार के दौरान ही आरक्षण खत्म किए जाने की मांग का राग क्यों अलापा। क्या मोहन भागवत के पास इसका कोई सम्यक तर्क है। अब तो बिहार से पार्टी सांसद हुकुमदेव नारायण ने इस चुनावी नतीजे के लिए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पर निशाना साधा है। नारायण का कहना है कि मोहन भागवत के आरक्षण पर दिए गए बयान से पार्टी को काफी नुकसान पहुंचा। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में मोहन भागवत का बयान आया, जिससे पिछड़ा, दलित समाज हिल गया। उन्होंने आगे यह भी कहा, पीएम के प्रति दलित समाज की आस्था है, लेकिन लोगों के मन से डर नहीं निकाल सके। मोहन भागवत के बयान पर पिछड़ी जाति उत्तेजित हुईं। उन्होने तो यहां तक कह डाला कि बीजेपी को इतनी सीटें आ गईं वो ही बहुत है। इन गतिविधियों से साफ है कि मोदी और आरएसएस प्रमुख के बीच जरूर कोई अन्तर्द्वन्द चल रहा है। हलांकि लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद देश में मोदी की जिस तरह से लोकप्रियता बढ़ी थी, उससे आरएसएस का कद बौना दिखने लगा था। अब शायद आरएसएस इसी कारण से मोदी को चुनाव जीत को श्रेय न मिले, इसके लिए हर संभव चाल चल रही है। अगर ऐसा कुछ है तो मोदी को अपने रास्ते अलग करना होगा और जनता के बीच तक इस सच्चाई को पहुंचाना होगा।
देश का मूड समझें मोदी
2014 में जब देश में लोकसभा का चुनाव चल रहा था, हर ओर लोगों के दिलो दिमाग पर एक ही नेता के नाम की धूम थी। वह नाम था गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी का। देश के मतदाताओं ने किसी की बात नहीं सुनी, नरेन्द्र मोदी की बात पर भरोसा किया और उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए प्रचंड बहुमत से चुना। शायद लोगों को इस बात का विश्वास था कि नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनते ही देश में आमूलचूल परिवर्तन हो जाएगा। पर प्रधानमंत्री बनने के 18 माह बाद भी देश में कोई परिवर्तन नहीं नजर आया। न गुड गवर्नेंस दिखा, न ही महंगाई कम हुई, न ही भ्रष्ट्राचार कम हुआ और न ही देश में बलात्कार जैसी अपराध की घटनाएं कम हुर्इं। उल्टे देश को कुछ नई घटनाओं का सामना करना पड़ा। मसलन ह्यलव जिहादह्ण, ह्यघर वापसीह्ण, आरक्षण खत्म करने की वकालत जैसे नए मुद्दे गढ़े जाने लगे। प्रधानमंत्री बनने के बाद भी नरेन्द्र मोदी के तेवर विपक्षी नेता जैसा ही दिखता रहा। पूरे देश में भाजपा के शीर्ष नेताओं पर भी एकाधिकार कायम करने की कोशिश शुरू हो गयी। हर मुद्दे पर अपनी अलग राय रखने में महारत हासिल करने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन समस्याओं का समाधान ढूंढने के बजाय विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए उस पर एक नई तोहमत लगानी शुरू कर दी। दिल्ली में चुनाव आया तो उन्होंने अरविन्द केजरीवाल को निशाने पर ले लिया और उनके गोत्र पर सवाल खड़ा दिया। बिहार का चुनाव आया तो उन्होंने नीतीश कुमार के डीएनए पर सवाल खड़ा कर दिया। दिल्ली की तरह बिहार के चुनाव में भी पूरा प्रचार अभियान खुद पर केन्द्रित कर लिया। नतीजा यह निकला कि पब्लिक का मूड बदल गया। जो पब्लिक लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी के नाम की माला जप रही थी, उसी पब्लिक ने दूसरा विकल्प ढूंढना शुरू कर दिया। दिल्ली में भारी परायज मिलने के बाद भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की जनता का मूड नहीं समझा और बिहार के चुनाव में फिर वही राग अलापना शुरू कर दिया। अब बिहार के परिणाम सामने हैं। यहां भी मोदी के गठबंधन को महा हार का सामना करना पड़ा है। प्रधानमंत्री को यह समझना चाहिए कि देश की जनता कभी किसी के पीछे चलने की आदी नहीं है। उसे विकास के साथ ही भरपूर स्नेह, प्यार और आपसी भाईचारे की भावना भी चाहिए। उसे बगैर स्नेह, प्यार और भाईचारे के कोरा विकास की बात सहज मंजूर नहीं है।
रविवार, 1 नवंबर 2015
अस्पताल
अस्पताल
क्या अजब जगह है
बिखरी पड़ी है
वेदना दुःख दर्द
जीवन मृत्यु के प्रश्न
इसी अस्पताल के
किसी वार्ड के बिस्तर पर
तड़फती रहती है
जिजीविषा
दवाइयों
और सिरंज में
ढूंढती रहती है जीवन
समीप के बिस्तर से
गुम होती साँसों को देख
सोचती है
जिजिबिषा
कल का सूरज
कैसा होगा .......
क्या अजब जगह है
बिखरी पड़ी है
वेदना दुःख दर्द
जीवन मृत्यु के प्रश्न
इसी अस्पताल के
किसी वार्ड के बिस्तर पर
तड़फती रहती है
जिजीविषा
दवाइयों
और सिरंज में
ढूंढती रहती है जीवन
समीप के बिस्तर से
गुम होती साँसों को देख
सोचती है
जिजिबिषा
कल का सूरज
कैसा होगा .......
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