कोरोना वारियर्स को समर्पित दोहे
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सेवा-भावना
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कोरोना योद्धा सभी,भूल गए घर-द्वार।
ऐसे वीरों के लिए,शब्द कहूँ मैं चार।।
कोरोना के काल में,वीर बने चट्टान।
श्वेद-रक्त टीका लगा,रखें हथेली जान।।
लोगों से विनती करें,और दिखाते राह।
बिन कारण जो घूमते,होकर बेपरवाह।।
भूखे-प्यासों की करें,सेवा ये दिन रात
मानवता के धर्म की,यही अनोखी बात।।
कोई भोजन बाँटता ,कोई रखता ध्यान।
जाँच-पड़ताल में लगे,रखना इनका मान।।
अपनी सेहत भूलकर,सबका रखते ध्यान
देश प्रेम सबसे बड़ा,उसपर वारें जान।।
पुलिस चिकित्सक ये सभी,कोरोना के वीर।
संकट में खुद हैं पड़े,बाँटे सबकी पीर।।
जीवन रक्षक ये बने,इनका हो सम्मान।
चिकित्सक-सिपाही सदा,दाँव लगाते जान।।
कोरोना के बीच में,करते सभी प्रयोग
अपने हित को भूलकर,सेवा करते लोग।।
घर-घर कचरा संग्रहण,करते हैं ये वीर।
साफ-सफाई ये रखें,समझो इनकी पीर।।
सेवा करने उतर पड़े,दिल के सच्चे लोग।
भूखों को भोजन मिले,करते सभी प्रयोग।।
अभिलाषा चौहान'सुज्ञ'
स्वरचित मौलिक
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सेवा-भावना
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कोरोना योद्धा सभी,भूल गए घर-द्वार।
ऐसे वीरों के लिए,शब्द कहूँ मैं चार।।
कोरोना के काल में,वीर बने चट्टान।
श्वेद-रक्त टीका लगा,रखें हथेली जान।।
लोगों से विनती करें,और दिखाते राह।
बिन कारण जो घूमते,होकर बेपरवाह।।
भूखे-प्यासों की करें,सेवा ये दिन रात
मानवता के धर्म की,यही अनोखी बात।।
कोई भोजन बाँटता ,कोई रखता ध्यान।
जाँच-पड़ताल में लगे,रखना इनका मान।।
अपनी सेहत भूलकर,सबका रखते ध्यान
देश प्रेम सबसे बड़ा,उसपर वारें जान।।
पुलिस चिकित्सक ये सभी,कोरोना के वीर।
संकट में खुद हैं पड़े,बाँटे सबकी पीर।।
जीवन रक्षक ये बने,इनका हो सम्मान।
चिकित्सक-सिपाही सदा,दाँव लगाते जान।।
कोरोना के बीच में,करते सभी प्रयोग
अपने हित को भूलकर,सेवा करते लोग।।
घर-घर कचरा संग्रहण,करते हैं ये वीर।
साफ-सफाई ये रखें,समझो इनकी पीर।।
सेवा करने उतर पड़े,दिल के सच्चे लोग।
भूखों को भोजन मिले,करते सभी प्रयोग।।
अभिलाषा चौहान'सुज्ञ'
स्वरचित मौलिक