मित्रों! आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
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गुरुवार, 31 मई 2018
चिड़िया: नशा - एक जहर
चिड़िया: नशा - एक जहर: नशा - एक जहर नशे की राह में कई गुमराह हो रहे, ये नौनिहाल देश के तबाह हो रहे । कहता है कोई पी के भूल जाएगा वो गम, कहता है कोई छोड़ द...
लिखने से अधिक शौक पढ़ने का रहा। ब्लॉग जगत से परिचय होने के बाद अपनी स्वरचित रचनाओं को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से ब्लॉग बनाया।
'अब ना रुकूँगी', 'ओस की बूँदें' (साझा), 'तब गुलमोहर खिलता है' ये तीन कवितासंग्रह प्रकाशित।
शनिवार, 26 मई 2018
चन्द माहिया: क़िस्त 44
:1:
खुद तूने बनाया है
अपना ये पिंजरा
ख़ुद क़ैद में आया है
:2:
किस बात का है रोना
छूट ही जाना है
क्या पाना,क्या
खोना ?
:3:
जब चाँद नहीं उतरा
खिड़की मे,तो फिर
किसका चेहरा उभरा
:4:
जब तुमने पुकारा है
कौन यहां ठहरा
लौटा न दुबारा है
:5:
हर साँस अमानत है
जितनी भी उतनी
उसकी ही इनायत है
मंगलवार, 22 मई 2018
देश हित के लिए खेलती बेटियाँ
हर कदम पर यहाँ जीतती बेटियाँ
देखिये देश में अब पदक ला रहीं
बढ़ धरा से गगन चूमती बेटियाँ
आन को मान को देश की शान को
हर मुसीबत से हैं जूझती बेटियाँ
बेटियों पर पिता को हुआ नाज़ अब
लग पिता के गले झूलती बेटियाँ
खूबसूरत सुमन सी लगे हैं सदा
बन के खुशबू यहाँ महकती बेटियाँ
घर चलो लौट कर तुम न देरी करो
राह में बस यही सोचती बेटियाँ
आप ‘संजय’ सदा नेह देना इन्हें
हाथ सर पर सदा माँगती बेटियाँ
संजय कुमार गिरि
करतार नगर दिल्ली -53
9871021856
रविवार, 20 मई 2018
चन्द माहिया : क़िस्त 43
चन्द माहिया : क़िस्त 43
:1:
जज्बात की सच्चाई
नापोगे कैसे
इस दिल की गहराई
:2:
तुम को सबकी है ख़बर
कौन छुपा तुम से
सब तेरी ज़ेर-ए-नज़र
:3:
इक तुम पे भरोसा था
टूट गया वो भी
कब मैने सोचा था
:4:
इतना जो मिटाया है
और मिटा देते
दम लब तक आया है
:5:
कितनी भोली सूरत
जैसे बनाई हो
ख़ुद रब ने ये मूरत
:1:
जज्बात की सच्चाई
नापोगे कैसे
इस दिल की गहराई
:2:
तुम को सबकी है ख़बर
कौन छुपा तुम से
सब तेरी ज़ेर-ए-नज़र
:3:
इक तुम पे भरोसा था
टूट गया वो भी
कब मैने सोचा था
:4:
इतना जो मिटाया है
और मिटा देते
दम लब तक आया है
:5:
कितनी भोली सूरत
जैसे बनाई हो
ख़ुद रब ने ये मूरत
-आनन्द.पाठक-
गुरुवार, 17 मई 2018
Laxmirangam: जरूरी तो नहीं
Laxmirangam: जरूरी तो नहीं: जरूरी तो नहीं. माना, हर मुलाकात का अंजाम जुदाई तो है तो मुलाकात किया जाए, उसे बदनाम किया जाए जुदाई के लिए ? ये जरूरी तो नहीं. दिल ...
Andhra born. mother toungue Telugu. writing language Hindi. Other languages known - Gujarati, Punjabi, Bengali, English.Published 13 books in Hindi and one in English.
Can manage with Kannada, Tamil, assamese, Marathi .
Published 10 books in Hindi containing Poetry, Short stories, Currect topics, Essays, analysis etc. All are available on www.Amazon.in/books with names Rangraj Iyengar & रंगराज अयंगर
Both my english books are adopeted by FLAME university Pune for MBA (HR) Final year STUDENTS.
बुधवार, 16 मई 2018
https://anchalpandey.blogspot.com/2018/05/blog-post_14.ह्त्म्ल
जन्नत सी माँ की गोद
जन्नत सी माँ की गोद
मुक़द्दर भी उसे ठुकराता है
जो माँ को अपनी सताता है
सारे ज़माने की खुशी वो पाता है
जो माँ के गमों को रुलाता है
जो माँ को अपनी सताता है
सारे ज़माने की खुशी वो पाता है
जो माँ के गमों को रुलाता है
बरकते ज़िंदगी में उसी को नसीब है
माँ की दुआएँ जिनके रहती करीब है
ये माँ की वजह से ज़िंदगी भी शरीफ़ है
वरना बिन माँ के तो रईसी भी गरीब है
माँ की दुआएँ जिनके रहती करीब है
ये माँ की वजह से ज़िंदगी भी शरीफ़ है
वरना बिन माँ के तो रईसी भी गरीब है
उस खुदा ने भी की है खूबसूरत कारस्तानी
जो ममता को सौपी है जहाँ की बागवानी
ये अश्क नही,है ममता की निशानी
फिक्र में बहता है माँ की आँखों से पानी
जो ममता को सौपी है जहाँ की बागवानी
ये अश्क नही,है ममता की निशानी
फिक्र में बहता है माँ की आँखों से पानी
यूँ ही नही,माँ तो तक़दीर से मिलती है
नसीबवालों को जन्नत सी माँ की गोद मिलती है
रे बंदे तेरे आगे तो वो खुदा भी बदनसीब है
जन्नत में रह कर भी ना उसे एसी जन्नत मिलती है
जन्नत में रह कर भी ना उसे एसी जन्नत मिलती है
#आँचल
नसीबवालों को जन्नत सी माँ की गोद मिलती है
रे बंदे तेरे आगे तो वो खुदा भी बदनसीब है
जन्नत में रह कर भी ना उसे एसी जन्नत मिलती है
जन्नत में रह कर भी ना उसे एसी जन्नत मिलती है
#आँचल
रविवार, 13 मई 2018
Laxmirangam: मेरी तीसरी पुस्तक हिंदी : प्रवाह और परिवेश प...
Laxmirangam:
मेरी तीसरी पुस्तक हिंदी : प्रवाह और परिवेश प...: मेरी तीसरी पुस्तक हिंदी : प्रवाह और परिवेश प्रकाशित हो गई हैय. उसका कवर और संबंधित लिंक संलग्न हैं. अंतिम दो लिंकों से पुस्तक खरीद...
मेरी तीसरी पुस्तक हिंदी : प्रवाह और परिवेश प...: मेरी तीसरी पुस्तक हिंदी : प्रवाह और परिवेश प्रकाशित हो गई हैय. उसका कवर और संबंधित लिंक संलग्न हैं. अंतिम दो लिंकों से पुस्तक खरीद...
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Can manage with Kannada, Tamil, assamese, Marathi .
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Both my english books are adopeted by FLAME university Pune for MBA (HR) Final year STUDENTS.
गीत - जीवन है या दण्ड मिला है
जीवन है या दण्ड मिला है
पग-पग पर प्रतिबंध लगा है
कारागारों में साँसों का
आना-जाना बहुत खला है।
जीवन है या
दण्ड मिला है।।
पग-पग पर प्रतिबंध लगा है
कारागारों में साँसों का
आना-जाना बहुत खला है।
जीवन है या
दण्ड मिला है।।
हूँ सौभाग्यवती
वरदानित,
सृष्टि मुझी से है
अनुप्राणित।
मंदिर में महिमा मंडन पर
देहरी भीतर हूँ
अभिशापित ।
देवी सम्बोधित कर जग ने
औरत का हर
रूप छला है।।
वरदानित,
सृष्टि मुझी से है
अनुप्राणित।
मंदिर में महिमा मंडन पर
देहरी भीतर हूँ
अभिशापित ।
देवी सम्बोधित कर जग ने
औरत का हर
रूप छला है।।
बेमन कितनी बार झुकी हूँ
आदेशों को,
मान रुकी हूँ ।
आत्म-कथानक हैं ये आँसू
ख़ुद से लड़कर
बहुत थकी हूँ।
कितनी बार समर्पित होकर
मन में पश्चाताप चला है ।।
आदेशों को,
मान रुकी हूँ ।
आत्म-कथानक हैं ये आँसू
ख़ुद से लड़कर
बहुत थकी हूँ।
कितनी बार समर्पित होकर
मन में पश्चाताप चला है ।।
अपमानित सम्मान-पत्र हूँ,
परकोटों में
क़ैद इत्र हूँ ।
जिसका कोई समय नहीं है,
विषय हीन
सम्वाद-सत्र हूँ।
अनुचित है वर्णन शूलों का
फूलों से भी
दंश मिला है ।।
परकोटों में
क़ैद इत्र हूँ ।
जिसका कोई समय नहीं है,
विषय हीन
सम्वाद-सत्र हूँ।
अनुचित है वर्णन शूलों का
फूलों से भी
दंश मिला है ।।
सोमवार, 7 मई 2018
आज गुरुग्राम से प्रकाशित समाचार पत्र "आज समाज" में एक लघु कहानी प्रकाशित हुई
7 मई 17
शीर्षक -: खबर अच्छी या बुरी ---"एक अन्ध्विस्वास"
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आज सुबह से ही मेरी बाईं आँख लगातार फडफडा रही थी,और मेरे मन में न जाने किसी अपसगुन होने की आशंका सताए जा रही थी ,मैं जल्दी जल्दी ब्रेक फ़ास्ट कर अपने ऑफिस के लिए निकल पड़ा और रास्ते भर भगवान् से यही प्रार्थना करता रहा की कोई बुरी खबर न मिले ,ऑफ़िस पहुच कर मैंने अपने कम्पूटर को ओन कर अपनी सीट पर बैठ गया ,वैसे तो काम बहुत था किन्तु बार बार मेरे मन मस्तिक पर वही अपसगुन वाली बात आ जा रही थी ,गुड मोर्निंग सर ...तभी पेंट्री बोये ने चाय टेवल पर रखते हुए कहा और अगले स्टाफ की और चल दिया , मैं भी जैसे -तैसे अपना मन मार कर अपने काम में व्यस्त होने ही वाला था की अचानक से मेरे फोन की घंटी बज उठी मैंने जैसे ही फोन उठाया टेवल पर रखी चाय न जाने कैसे पलट कर गिर गई .और उधर से संदीप ने भी एक दु:खद सूचना दी .की ससुर जी की अचानक से तबियत ख़राब हो गई है उहें वह हॉस्पिटल ले कर जा रहा है ...जिसका डर था वही हुआ उन्हें हार्ट की प्रोब्लम थी और डॉ ने तुरंत ओपरेशन (बाई पास सर्जरी ) के लिए कहा था ...किन्तु इस उम्र में उनका यह ओपरेशन करवाना हमें बहुत ही खतरनाक लगा था ,इस कारण हमने उन्हें केवल दवाई एवं परहेज करवाना ही उचित समझा और समय-समय पर डॉ की सलाह लेते रहे ,यह खबर सुनकर मेरे हाथ पैर कॉप गए और मुझे कुछ भी नहीं सूझ रहा था की क्या करूँ ?
मैं अभी कुछ सोच ही रहा था कि तभी पेंट्री बोये मेरे नजदीक आया और उसने मुझसे कहा आपको बोस बुला रहें हैं ..मैं अपने को संभालता हुआ बोस के केविन में गया तो देखा मेरे वहां मेरी कम्पनी ( g4s) के कुछ ख़ास ऑफिसर्स बैठे हुए थे !
जैसे ही बोस ने मुझे देखा वे तुरंत मेंरा स्वागत करने स्वयम मेरे नजदीक आ गए और उन्होंने मेरे कंधे पर सब्बासी देते हुए मेरी पीठ थपथपाई और मेरे अधिकारियों से मेरी तारीफ करते हुए उन्होंने कहा -यह बहुत अच्छा कार्य करता है इसका परमोशन होना चाहिए ,यह बात सुन मेरे G4S अधिकारियों ने भी खड़े होकर मेरी पीठ थपथपाई और मुझेबधाई देते हुए कहा संजय हमें तुम पर बहुत गर्व है अगले माह से तुम्हारी सेलरी अब बढ़ कर आएगी ! मैं उनका धन्यवाद कह कर अपने डेस्क पर आया और अपनी शीट पर बैठ कर सोचने लगा कि यह मेरा अन्ध्विस्वास है या मेरी मेहनत का फल !
संजय कुमार गिरि
7 मई 17
शीर्षक -: खबर अच्छी या बुरी ---"एक अन्ध्विस्वास"
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आज सुबह से ही मेरी बाईं आँख लगातार फडफडा रही थी,और मेरे मन में न जाने किसी अपसगुन होने की आशंका सताए जा रही थी ,मैं जल्दी जल्दी ब्रेक फ़ास्ट कर अपने ऑफिस के लिए निकल पड़ा और रास्ते भर भगवान् से यही प्रार्थना करता रहा की कोई बुरी खबर न मिले ,ऑफ़िस पहुच कर मैंने अपने कम्पूटर को ओन कर अपनी सीट पर बैठ गया ,वैसे तो काम बहुत था किन्तु बार बार मेरे मन मस्तिक पर वही अपसगुन वाली बात आ जा रही थी ,गुड मोर्निंग सर ...तभी पेंट्री बोये ने चाय टेवल पर रखते हुए कहा और अगले स्टाफ की और चल दिया , मैं भी जैसे -तैसे अपना मन मार कर अपने काम में व्यस्त होने ही वाला था की अचानक से मेरे फोन की घंटी बज उठी मैंने जैसे ही फोन उठाया टेवल पर रखी चाय न जाने कैसे पलट कर गिर गई .और उधर से संदीप ने भी एक दु:खद सूचना दी .की ससुर जी की अचानक से तबियत ख़राब हो गई है उहें वह हॉस्पिटल ले कर जा रहा है ...जिसका डर था वही हुआ उन्हें हार्ट की प्रोब्लम थी और डॉ ने तुरंत ओपरेशन (बाई पास सर्जरी ) के लिए कहा था ...किन्तु इस उम्र में उनका यह ओपरेशन करवाना हमें बहुत ही खतरनाक लगा था ,इस कारण हमने उन्हें केवल दवाई एवं परहेज करवाना ही उचित समझा और समय-समय पर डॉ की सलाह लेते रहे ,यह खबर सुनकर मेरे हाथ पैर कॉप गए और मुझे कुछ भी नहीं सूझ रहा था की क्या करूँ ?
मैं अभी कुछ सोच ही रहा था कि तभी पेंट्री बोये मेरे नजदीक आया और उसने मुझसे कहा आपको बोस बुला रहें हैं ..मैं अपने को संभालता हुआ बोस के केविन में गया तो देखा मेरे वहां मेरी कम्पनी ( g4s) के कुछ ख़ास ऑफिसर्स बैठे हुए थे !
जैसे ही बोस ने मुझे देखा वे तुरंत मेंरा स्वागत करने स्वयम मेरे नजदीक आ गए और उन्होंने मेरे कंधे पर सब्बासी देते हुए मेरी पीठ थपथपाई और मेरे अधिकारियों से मेरी तारीफ करते हुए उन्होंने कहा -यह बहुत अच्छा कार्य करता है इसका परमोशन होना चाहिए ,यह बात सुन मेरे G4S अधिकारियों ने भी खड़े होकर मेरी पीठ थपथपाई और मुझेबधाई देते हुए कहा संजय हमें तुम पर बहुत गर्व है अगले माह से तुम्हारी सेलरी अब बढ़ कर आएगी ! मैं उनका धन्यवाद कह कर अपने डेस्क पर आया और अपनी शीट पर बैठ कर सोचने लगा कि यह मेरा अन्ध्विस्वास है या मेरी मेहनत का फल !
संजय कुमार गिरि
शनिवार, 5 मई 2018
Laxmirangam: जिंदगी का सफर
Andhra born. mother toungue Telugu. writing language Hindi. Other languages known - Gujarati, Punjabi, Bengali, English.Published 13 books in Hindi and one in English.
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