चन्द माहिया : क़िस्त 49
:1:
ये इश्क़ है जान-ए-जां
तुम ने क्या समझा
ये राह बड़ी आसां ?
:2:
ख़ामोश निगाहें भी
कहती रहती हैं
कुछ मन की व्यथायें भी
:3:
कुछ ग़म की सौगातें
जब से गए हो तुम
आँखों में कटी रातें
:4:
वो जाने किधर रहता
एक वही तो है
जो सब की खबर रखता
:5:
माया को सच माना
मद में है प्राणी
है कितना अनजाना
-आनन्द.पाठक-
:1:
ये इश्क़ है जान-ए-जां
तुम ने क्या समझा
ये राह बड़ी आसां ?
:2:
ख़ामोश निगाहें भी
कहती रहती हैं
कुछ मन की व्यथायें भी
:3:
कुछ ग़म की सौगातें
जब से गए हो तुम
आँखों में कटी रातें
:4:
वो जाने किधर रहता
एक वही तो है
जो सब की खबर रखता
:5:
माया को सच माना
मद में है प्राणी
है कितना अनजाना
-आनन्द.पाठक-
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (23-07-2018) को "एक नंगे चने की बगावत" (चर्चा अंक-3041) (चर्चा अंक-3034) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी