(मापनी:- 12222 122)
अभी तो सूरज उगा है,
सवेरा यह कुछ नया है।
प्रखरतर यह भानु होता ,
गगन में बढ़ अब चला है।
अभी तक जो नींद में थे,
जगा उन सब को दिया है।
सभी का विश्वास ले के,
प्रगति पथ पर चल पड़ा है।
तमस की रजनी गयी छँट,
उजाला अब छा गया है।
उड़ानें यह देश लेगा,
सभी दिग में नभ खुला है।
भवन उन्नति-नींव पर अब,
शुरू द्रुत गति से हुआ है।
गया बढ़ उत्साह सब का,
कलेजा रिपु का हिला है।
'नमन' भारत का भरोसा,
सभी क्षेत्रों में बढ़ा है।
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (15-12-20) को "कुहरा पसरा आज चमन में" (चर्चा अंक 3916) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
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कामिनी सिन्हा
सकारात्मक
जवाब देंहटाएंजय भारत।
नई रचना- समानता
वाह
जवाब देंहटाएंहार्दिक नमन उस भरोसे को । अति सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सृजन,
जवाब देंहटाएंहरिः ॐ तत्सत
जवाब देंहटाएंआदरणीय मयंक जी,
सादर नमन
अद्भुत सृजन,
||पुनश्च सादर नमन||
आचार्य प्रताप
प्रबंध निदेशक
अक्षर वाणी संस्कृत समाचार पत्र