कुछ अनुभूतियाँ
01
कल तुमने की नई शरारत,
दिल में अभी हरारत सी है
ख़्वाब हमारे जाग उठे फिर
राहत और शिकायत भी है
02
जब तुम को था दिल बहलाना
पहले ही यह बतला देते
लोग बहुत तुम को मिल जाते,
चाँद सितारे भी ला देते ।
03
मधुर कल्पना मधुमय सपनें
कर्ज़ तुम्हारा है, भरना है,
जीवन की तपती रेती पर
नंगे पाँव सफ़र करना है ।
04
मत पूछो यह कैसे तुम बिन
विरहा के दिन, कठिन ढले हैं ,
आज मिली तो लगता ऐसे
जनम जनम के बाद मिले हैं ।
-आनन्द.पाठक-
सुंदर शृंगार भाव सृजन।
जवाब देंहटाएंआभार आप का
हटाएंउम्दा प्रस्तुति आदरणीय ।
जवाब देंहटाएंकृपा आप की--सादर
हटाएंसुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आप का -सादर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद--सादर
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