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रविवार, 2 अक्टूबर 2022

चन्द माहिए

 चन्द माहिए


:1:

क्यों ख़्वाब-ए-जन्नत में 

डूबा है, ज़ाहिद!

हूरों की जीनत में?


:2:

ये हुस्न की रानाई,

नाज़, अदा फिर क्या

गर हो न पज़ीराई !


:3:

ग़ैरों की बातों को,

मान लिया सच क्यों,

सब झूठी बातों को?


:4:

इतना ही फ़साना है, 

फ़ानी दुनिया में, 

बस आना-जाना है।,


:5:

तुम कहती, हम सुनते

बीत गए वो दिन,

सपने बुनते बुनते ।


-आनन्द.पाठक-

शब्दार्थ

रानाई = सुन्दरता

पजीराई= स्वागत

फ़ानी दुनिया = नश्वर संसार


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