मित्रों!

आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं।

बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए।


फ़ॉलोअर

शनिवार, 3 अगस्त 2019

वाइरस

तुम्हें खोजते हुए
पहुँच जाना मेरा 
हर बार 
उस क्षितिज पे
जहाँ कदाचित
आदम हौवा 
पहली दफ़े  मिले थे ...

अथक  प्रयास करना मेरा 
हम दोनों के अस्तित्व के 
jigsaw puzzle से 
ख़यालों के 
और रूह के  टुकड़े 
जो कदाचित 
एक दूसरे में 
फ़िट बैठने के 
लिए बने थे 

मगर ये तुम्हारे मेरे 
ख़्यालों के टुकड़े
मायावी से है, जो 
हर बार बदल लेते है 
स्वरूप अपना 
किसी वाइरस की तरह ...

बदल लेते है ये 
अपना आकार 
प्रकार और विचार 
और फिर 
हम दोनो 
फ़िट नहीं बैठ पाते 
उस सामाजिक ढर्रे में ...

टूट जाते है 
दोनो शैने शैने 
और सोचते है 
ये वाइरस कौन था ...
वहम या  अहम !! 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें