मित्रों!

आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं।

बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए।


फ़ॉलोअर

बुधवार, 6 अक्टूबर 2021

एक ग़ज़ल

 एक ग़ज़ल

बगुलों की मछलियों से, साजिश में रफ़ाक़त है,
कश्ती को डुबाने की, साहिल की  इशारत  है ।


वो हाथ मिलाता है, रिश्तों को जगा कर के,
ख़ंज़र भी चुभाता है, यह कैसी शरारत है ?


शीरी है ज़ुबां उसकी, क्या दिल में, ख़ुदा जाने ,
हर बात में नुक़्ताचीं, उसकी तो ये आदत है ।


जब दर्द उठा करता, दिल तोड़ के अन्दर से,
इक बूँद भी आँसू की, कह देती हिकायत है ।


इकरार नहीं करते, हां’ भी तो नहीं करते ,
दिल तोड़ने वालों से, क्या क्या न शिकायत है।


अब कोई नहीं मेरा, सब नाम के रिश्ते हैं,
हस्ती से मेरी अपनी, ताउम्र बग़ावत है।


इक राह नहीं तो क्या, सौ राह तेरे आगे,
चलना है तुझे ’आनन’, कोई न रिआयत है।


=आनन्द.पाठक-

 

शब्दार्थ

रफ़ाक़त = दोस्ती, सहभागिता

हिकायत = कथा-कहानी ,वृतान्त

रिआयत = छूट 

1 टिप्पणी: