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शनिवार, 19 अप्रैल 2014

गर्म हवा—पथिक अनजाना—585 वीं पोस्ट



इंसानी दंपत्ति के जीवन की यही तो सच्ची कहानी हैं
युगल- दंपत्ति के संपर्क से  जन्मी सृष्टि अनजानी हैं
चहकता हर कोना व आती नई पौध से खूश्बू दीवानी हैं
युवा पुत्री के ब्याहने बाद रचियता के ध्यान समानी हैं
युवा पुत्र के ब्याहने पर खोते नियंत्रण छाती परेशानी है
इक रहे दूर पर ध्यान मे पास दूजा पास पर होता दूर हैं
ताकीद जो की थी पिता ने खुद पिता भी बिसार देता हैं
नई दुनिया में भेज बहाने मार्गदर्शन संतान को रूलाता हैं
न समझने देता दुनिया कैसे आदर्श पिता वह कहलाता हैं
पुत्र दंपत्ति को रचने दो दुनिया हर राह अधिकार जमाता
हंसता पथिक अनजाना  बचाया जिन्हें गर्म हवाऔ से था
मोह में फंस क्यों स्वंय उनके लिये गर्म हवा बन जाता हैं
पथिक अनजाना


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