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सोमवार, 23 अक्टूबर 2017

चिड़िया: खामोशियाँ गुल खिलाती हैं !

चिड़िया: खामोशियाँ गुल खिलाती हैं !: रात के पुर-असर सन्नाटे में जब चुप हो जाती है हवा फ़िज़ा भी बेखुदी के आलम में हो जाती है खामोश जब ! ठीक उसी लम्हे, चटकती हैं अनगिनत कलि...

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (25-10-2017) को
    "प्रीत के विमान पर, सम्पदा सवार है" (चर्चा अंक 2768)
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय शास्त्रीजी ! आपका आशीष
    मिलता रहे...सादर प्रणाम स्वीकारें ।

    जवाब देंहटाएं
  3. किसी तकनीकी गड़बड़ी के कारण मुझे नोटिफिेेकेशन नहीं मिल रहे हैं । आज आपका ब्लॉग पर आने से यह सूचना मिली । कृपया क्षमा करें ।

    जवाब देंहटाएं