एक ग़ज़ल : छुपाते ही रहे अकसर--
छुपाते ही रहे अकसर ,जुदाई के दो चश्म-ए-नम
जमाना पूछता गर ’क्या हुआ?’ तो क्या बताते हम
मज़ा ऐसे सफ़र का क्या,उठे बस मिल गई मंज़िल
न पाँवों में पड़े छाले ,न आँखों में ही अश्क-ए-ग़म
न समझे हो न समझोगे , ख़ुदा की यह इनायत है
बड़ी क़िस्मत से मिलता है ,मुहब्बत में कोई हमदम
हज़ारों सूरतें मुमकिन , हज़ारों रंग भी मुमकिन
मगर जो अक्स दिल पर है किसी से भी नहीं है कम
ख़िजाँ का है अगर मौसम ,दिल-ए-नादाँ परेशां क्यूँ
सभी मौसम बदलता है ,बदल जायेगा ये मौसम
नहीं देखा सुना होगा ,जुनून-ए-इश्क़ क्या होता
कभी ’आनन’ से मिल लेना ,समझ जाओगे तुम जानम
-आनन्द.पाठक-
छुपाते ही रहे अकसर ,जुदाई के दो चश्म-ए-नम
जमाना पूछता गर ’क्या हुआ?’ तो क्या बताते हम
मज़ा ऐसे सफ़र का क्या,उठे बस मिल गई मंज़िल
न पाँवों में पड़े छाले ,न आँखों में ही अश्क-ए-ग़म
न समझे हो न समझोगे , ख़ुदा की यह इनायत है
बड़ी क़िस्मत से मिलता है ,मुहब्बत में कोई हमदम
हज़ारों सूरतें मुमकिन , हज़ारों रंग भी मुमकिन
मगर जो अक्स दिल पर है किसी से भी नहीं है कम
ख़िजाँ का है अगर मौसम ,दिल-ए-नादाँ परेशां क्यूँ
सभी मौसम बदलता है ,बदल जायेगा ये मौसम
नहीं देखा सुना होगा ,जुनून-ए-इश्क़ क्या होता
कभी ’आनन’ से मिल लेना ,समझ जाओगे तुम जानम
-आनन्द.पाठक-
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (08-10-2017) को
जवाब देंहटाएं"सलामत रहो साजना" (चर्चा अंक 2751)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आप का आभार शत शत
हटाएंसादर
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 09 अक्टूबर 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"
जवाब देंहटाएं्धन्यवाद ध्रुव जी
हटाएंसादर
बढ़िया ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी
हटाएंसादर
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंउम्दा ग़ज़ल
आ0 लोकेश जी---धन्यवाद आप का -साभर
हटाएंबहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंआप की कॄपा है -जोशी जी
हटाएंआभार
खूबसूरत शेर हैं सभी । सादर ।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आप का मीना जी -
हटाएंसादर
लाजवाब गजल....
जवाब देंहटाएंउत्साह वर्धन हेतु बहुत बहुत धन्यवाद
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